अब कोई ना अनपढ़ होगा
सबके हाथो पुस्तक होगी
ज्ञान गंगा की पावन धारा
सबके आँगन तक पहुंचेगी।
पुस्तक और कलम की शक्ति जन जारि जी महक
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shahi kaha ap bhi follow karna
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अब कोई ना अनपढ़ होगा सबके हाथो पुस्तक होगी
Explanation:
एक पुत्र अपने वृद्ध पिता को रात्रिभोज के लिये एक अच्छे रेस्टोरेंट में लेकर गया।खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया।रेस्टोरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे लेकिन उसका पुत्र शांत था।खाने के बाद पुत्र बिना किसी शर्म के वृद्ध को वॉशरूम ले गया।उनके कपड़े साफ़ किये,चेहरा साफ़ किया, बालों में कंघी की,चश्मा पहनाया,और फिर बाहर लाया।सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे।फ़िर उसने बिल का भुगतान किया और वृद्ध के साथ बाहर जाने लगा।तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने उसे आवाज दी, और पूछा:- क्या तुम्हें नहीं लगता कि यहाँ अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो उसने जवाब दिया:- नहीं सर,मैं कुछ भी छोड़कर नहीं जा रहा।वृद्ध ने कहा:- बेटे,तुम यहाँ प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा,सबक और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद छोड़कर जा रहे हो।
एक बार एक राजा था,वह जब भी मंदिर जाता,तो २ फ़क़ीर उसके दाएं और बाएं बैठा करते! दाईं तरफ़ वाला कहता:-“हे भगवान,तूने राजा को बहुत कुछ दिया है,मुझे भी दे दे!”
बाईं तरफ़ वाला कहता:- “ऐ राजा! भगवान ने तुझे बहुत कुछ दिया है,मुझे भी कुछ दे दे!”
दाईं तरफ़ वाला फ़क़ीर बाईं तरफ़ वाले से कहता:- “भगवान से माँग! बेशक वह सबसे बैहतर सुनने वाला है!”
बाईं तरफ़ वाला जवाब देता:- “चुप कर बेवक़ूफ़।
एक बार राजा ने अपने वज़ीर को बुलाया और कहा कि मंदिर में दाईं तरफ जो फ़क़ीर बैठता है वह हमेशा भगवान से मांगता है तो बेशक भगवान् उसकी ज़रूर सुनेगा,लेकिन जो बाईं तरफ बैठता है वह हमेशा मुझसे फ़रियाद करता रहता है,तो तुम ऐसा करो कि एक बड़े से बर्तन में खीर भर के उसमें अशर्फियाँ डाल दो और वह उसको दे आओ!
वज़ीर ने ऐसा ही किया… अब वह फ़क़ीर मज़े से खीर खाते-खाते दूसरे फ़क़ीर को चिड़ाता हुआ बोला:- “हुह बड़ा आया ‘भगवान् देगा’ वाला,यह देख राजा से माँगा,मिल गया ना?”
सबके हाथों पुस्तक होगी।
ज्ञानगंगा की पावन धारा,
सबके आँगन तक पहुँचेगी।
https://brainly.in/question/49681811?msp_srt_exp=4
अब कोई ना अनपढ़ होगा
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