अब कै राखि लेहु भगवान।
हौं अनाथ बैठ्यो द्रुम डरिया, पारधी साधे बान।
ताकैं डर मैं भाज्यौ चाहत, ऊपर ढुक्यौ सचान।
दुहूँ भाँति दुख भयौ आनि यह, कौन उबारै प्रान?
सुमिरत ही अहि डस्यौ पारधी, कर छूट्यौ संधान।
सूरदास सर लग्यौ सचानहिं, जय-जय कृपानिधान।। bhavarth
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अब कै राखि लेहु भगवान।
हौं अनाथ बैठ्यो द्रुम डरिया, पारधी साधे बान।
ताकैं डर मैं भाज्यौ चाहत, ऊपर ढुक्यौ सचान।
दुहूँ भाँति दुख भयौ आनि यह, कौन उबारै प्रान?
सुमिरत ही अहि डस्यौ पारधी, कर छूट्यौ संधान।
सूरदास सर लग्यौ सचानहिं, जय-जय कृपानिधान।।
संदर्भ ► यह पद सूरदास द्वारा रचित ‘सूरसागर’ से लिए गए हैं, इसमें सूरदास जी ने भगवान से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना की है और खुद को संकटग्रस्त और असहाय बताकर भगवान की कृपा प्राप्त करने की आकांक्षा व्यक्त की है।
भावार्थ ► सूरदास जी कहते हैं कि हे प्रभु! इस बार मेरी रक्षा कर लीजिए। मैं घोर संकट में फंसा हूँ। मेरी स्थिति तो उस पक्षी की तरह है, जो किसी व्यक्ति की डाली पर बैठा हो और नीचे शिकारी उस पर तीर चलाना चाहता हो और ऊपर बाज उस पर झपट्टा मारने के लिए तैयार बैठा हो।
वृक्ष पर बैठे किसी भी पक्षी के लिए यह दोनों तरह की स्थितियां बेहद कष्टकारी हो सकती हैं। उसकी स्थिति आगे कुआं-पीछे खाई जैसी है। यदि वह उड़कर जाने की कोशिश करेगा तो बाज उस पर झपट्टा मार लेगा और यदि वह पेड़ पर ही बैठा रहेगा तो शिकारी अपने तीर से उसका शिकार कर लेगा। ऐसी स्थिति में उसे अपने प्राण बचाने वाला कोई नहीं दिखाई देता है तो वह स्वयं को अनाथ महसूस करता है और अपनी रक्षा के लिए प्रभु का स्मरण करता है। उसकी पुकार सुनकर प्रभु अपनी माया रचते हैं, जिसके कारण शिकारी जब बाण चला रहा होता है तो अचानक उसे कहीं से आकर एक सांप डस लेता है, जिससे शिकारी का निशाना चूक जाता है और तीर पक्षी को न लगकर ऊपर बाज को लग जाता है। इससे पक्षी का संकट दोनों तरफ से टल जाता है।
सूरदास जी कहते हैं कि हे कृपा निधान! जिस तरह आपने उस पक्षी की रक्षा की, उसी तरह आप मेरे ऊपर भी कृपा करो और मुझे संकट की इस घड़ी से निकाल लो। हे प्रभु! हे कृपा निधान! हे दयानिधान! बार मेरी रक्षा करो, आप की सदा ही जय हो।
भावपक्ष ► यहां पर सूरदास जी स्वयं को संकट में होने का कारण जन्म मरण के चक्कर में फंसे रहने को मानते हैं और वह जन्म मरण रूपी संकट में फंसे हैं जहाँ उन्हें मोह माया यूपी बाज और शिकारी चारों तरफ से घेरे हुए हैं, ऐसे में मैं प्रभु से रक्षा की गुहार करते हैं ताकि उन्हें प्रभु जन्म मरण के इस संकट से मुक्ति दिलायें।
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Answer:
surdas sar lagyo sachnahi jay jay kripanidhan