अब कैसे छू राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग अंग बास समानी।
प्रभु तुम धन बन हम गोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहि मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा।।
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करे।
गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥
जाकी छोति जगत कउ लागता
पर तुहीं हरै।
नीचहु ऊच कर मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै।।
नामदेव कबीरु तिलोचनु
तिलोचनु सधना सैन तरै।
कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सथै सरै।।
MO
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प्रभुजी यानि भगवान शायद कृष्ण या रामजी |
हे भगवान, तुम चन्दन जैसे बहु मूल्यवान, खुशबूदार , सब के प्रिय हो | हम लोग पानी जैसे हैं| हम अपने आपको तुमसे मिलाकर, अंग अंग में जैसे चन्दन बदन पर अलगाते हैं, वैसे तुमको ही बसाकर जीते हैं | पूरा बदन तेरे ही नाम से पुलकित होता है |
हे भगवान्, तुम एक घने जंगल हो, जिसमें हम मोर की तरह आनंद से घुमते हैं| और अपने मन में तेरे ही इंतजार करते हुए, जैसे चकोर पक्षी चाँद का इंतज़ार करती है और उसे ही देखती है |
हे भगवान तुम दीप, कांति हो | तुम ज्योति बन कर दिन रत हमें रास्ता दिखाते हो|
तुम प्रकाश करती हुई मोती हो | हम धागा हैं | मोती जैसे तुम मिले तो हम धागे में डाल कर अपने पास रखते हैं| और खुश होते हैं| जैसे कि एक सोनार को सोना मिले तो वो एक हार बनाकर खुश होता है|
हे भगवान तुम हमारे मालिक और स्वामी हो | हम तेरे दास हैं | तेरी भक्ती में मैं मग्न हूँ | मैं तुम्हारी भक्ती में यह कहता हूँ |