अब कहां दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक की मां ने रोजा क्यों रखा
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लेखक की माँ को लगता था कि उनकी वजह से कबूतर के अंडे टूट गये थे। वे अपराध बोध से ग्रसित थीं। उन्होंने अपनी गलती की माफी मांगने के लिए पूरे दो दिन का रोजा रखा।
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लेखक की मां के विचार है कि सूरज छिपने के बाद पर्थ से फूल पत्ते नहीं तोड़ते क्योंकि पैर रोते हैं बीए बत्ती के वक्त फूलों को तोड़ने पर वह बद्दुआ देते हैं।दरिया पर जाकर उसे सलाम करो कबूतरों को इसलिए नहीं सताना चाहिए क्योंकि वह हजरत मुहम्मद के अजीज है। मुर्गो को परेशान इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि वह रोज सवेरे उठकर बांग देता है और हम सबको प्रातः जमाने का काम करता है।
ऊपर आपका उत्तर दिया गया है आशा करता हूं आपको समझ जाए और आपका हल मिल जाए धन्यवाद
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