अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले’ पाठ का मूल उद्देश्य क्या है ? उदाहरण सहित बताइए
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अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ सार इस पाठ में वर्णन किया गया है कि किस तरह आदमी नाम का जीव सब कुछ समेटना चाहता है और उसकी यह भूख कभी भी शांत होने वाली नहीं है। लेखक पाठ में ऐसे व्यक्तिओं के उदाहरण देते हैं जो सभी तरह के प्राणधारियों की रक्षा करना अपना कर्तव्य मानते थे।
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