Ab Kahan dusro Ke Dukh se Dukhi hone wale paath Mein lekhak Ne Prem aur apan natva ki Bhavna ke abhav ke kya Karan bataen Hain? Apne shabdon Mein likhiye.
Answers
अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले पाठ में लेखक ने मनुष्य के जीवन की कभी न पूरी होने वाली इच्छाओं का वर्णन किया है|
लेखक बताते है कि प्रकृति ने यह धरती सभी जीव-जंतु प्राणियों को रहने के लिए उपहार में दी है लेकिन मनुष्य ने धरती को अपना ही समझ लिया है और उस पर सिर्फ अपना ही हक जमा कर बैठा है| आज के समय में बाकी जीव एक ताज़ी सांसो के लिए इधर -उधर भटक रहे है| मनुष्य ने अपनी तरक्की के लिए अपना राज़ बना दिया है और बाकी जीवधारियों को छोड़ दिया है|
यह मनुष्य अपने जीवन में सब कुछ समेटना चाहता है उसकी कभी शांत नहीं होने वाली है| मनुष्य की भूख इतनी हो गई है कि जीव-जन्तुओं के बारे में क्या सोचेगा वह अब अब मनुष्य-मनुष्य का दुश्मन बना हुआ है| मनुष्य आपस में लड़ रहा है और अपने लाभों के लिए किसी की प्रवाह नहीं कर रहा है|
आज का समय में ऐसी परिस्तिथि हो गई की मनुष्य में प्रेम भावना , दया किसी और का दुःख और सुख की भावना रह नहीं गई| अब मनुष्य किसी का सहारा और सहायता नहीं करता है वह अब सिर्फ अपने बारे में सोचता है |
पहले के समय में ऐसा नहीं होता था | पहले मनुष्य पशु-पक्षियों से की बातों को समझते थे उनसे प्रेम करते थे , उनसे बाते करते थे| पेड़-पौधों की पूजा करते थे| अब सब बाद गया है|