Hindi, asked by mhemangi4362, 6 hours ago

Ab ke rakhi Lehi bagawan ka arth

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Answered by rishavessence2015
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Answer:

सूरदास जी के इस पद के शब्द और अर्थ कुछ ऐसे हैं:

अब कै राखि लेहु भगवान।

हौं अनाथ बैठ्यो द्रुम डरिया, पारधी साधे बान।

ताकैं डर मैं भाज्यौ चाहत, ऊपर ढुक्यौ सचान।

दुहूँ भाँति दुख भयौ आनि यह, कौन उबारै प्रान?

सुमिरत ही अहि डस्यौ पारधी, कर छूट्यौ संधान।

सूरदास सर लग्यौ सचानहिं, जय-जय कृपानिधान।।

पेड़ की डाली पर बैठा एक छोटा सा पक्षी भगवान से निवेदन कर रहा है कि मैं संकटग्रस्त और असहाय हूँ। हे प्रभु, मैं बहुत डरा हुआ हूँ क्योंकि सामने शिकारी मुझपर तीर साधे खड़ा है और ऊपर बाज झपट्टा मारने के लिए तैयार बैठा है। आगे कुआं-पीछे खाई जैसी स्तिथि है और आप ही बताएँ कि मुझ अनाथ को इस विकट परिस्थिति से कौन बचायेगा अब?

लेकिन जैसे ही ईश्वर का स्मरण करता है अचानक एक सांप शिकारी को डस लेता है, जिससे उसका निशाना चूक जाता है और तीर पक्षी को न लगकर ऊपर बाज को लग जाता है।

इससे पक्षी का संकट दोनों तरफ से टल जाता है। एक ही क्षण में बाज और व्याध, दोनो के प्राण पखेरू उड़ जाते हैं।

सूरदास जी कहते हैं कि हे कृपा निधान! जिस तरह आपने उस पक्षी की रक्षा की, उसी तरह आप मेरे ऊपर भी कृपा करो और मुझे संकट की इस घड़ी से निकाल लो। हे प्रभु! हे कृपा निधान! हे दयानिधान! इस बार मेरी रक्षा करो, आप की सदा ही जय हो।

उन परमबुद्ध परमशुद्ध परात्पर, सर्वश्रेष्ठ सर्वोत्तम सर्वज्ञ, हमारे सर्वस्व श्री हरि को बारंबार नमन है।

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