अबुल फजल की प्रभुसत्ता को एक सामाजिक अनुरूप के रूप में परिभाषित क्यों किया गया ??
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अबुल फजल अकबरनामा का लेखक था। उसका पालन-पोषण मुग़ल राजधानी आगरा में हुआ। वह अरबी, फारसी, यूनानी, दर्शन और सूफीवाद में पर्याप्त निपुण था । वह एक प्रभावशाली वक्ता तथा स्वतंत्र चिंतक था । उसके इन्हीं गुणों से प्रभावित होकर अकबर ने उसको अपना सलाहकार और अपनी नीतियों का प्रवक्ता बनाया।
बादशाह अकबर का एक उद्देश्य राज्य को धार्मिक रूढ़ीवादियों के नियंत्रण से मुक्त करना था।
अबुल फजल दरबारी इतिहासकार के रूप में अकबर के शासन से जुड़े विचारों को न केवल आकार दिया बल्कि स्पष्ट रूप से व्यक्त भी किया।
Answer:
अबुल फजल का पूरा नाम अबुल फजल इब्न मुबारक था। इसका संबंध अरब के हिजाजी परिवार से था। इसका जन्म 14 जनवरी 1551 में हुआ था। इसके पिता का नाम शेक मुबारक था। अबुल फजल ने अकबरनामा एवं आइने अकबरी जैसे प्रसिद्ध पुस्तक की रचना की। अबुल फजल अकबर के नवरत्नो में से एक रत्न थे। प्रारंभिक जीवन – अबुल फजल का पुरा परिवार देशांतरवास कर पहले ही सिंध आ चुका था। फिर हिन्दुस्तान के राजस्थान में अजमेर के पास नागौर में हमेशा के लिए बस गया। इसका जन्म आगरा में हुआ था। अबुल फजल बचपन से ही काफी प्रतिभाशाली बालक था। उसके पिता शेख मुबारक ने उसकी शिक्षा की अच्छी व्यवस्था की शीध्र ही वह एक गुढ़ और कुशल समीक्षक विद्वान की ख्याति अर्जित कर ली। 20 वर्ष की आयु में वह शिक्षक बन गया। 1573 ई. में उसका प्रवेश अकबर के दरबार में हुआ। वह असाधारण प्रतिभा, सतर्क निष्ठा और वफादारी के बल पर अकबर का चहेता बन गया। वह शीध्र अकबर का विश्वासी बन गया और शीध्र ही प्रधानमंत्री के ओहदे तक पहुँच गया। अबुल फजल इब्न का इतिहास लेखन – वह एक महान राजनेता, राजनायिक और सौन्य जनरल होने के साथ–साथ उसने अपनी पहचान एक लेखक के रूप ने भी वह भी इतिहास लेखक के रूप में बनाई। उसने इतिहास के परत-दर-परत को उजागर का लोगों के सामने लाने का प्रयास किया। खास कर उसका ख्याति तब और बढ़ जाती है जब उसने अकबरनामा और आईने अकबरी की रचना की। उसने भारतीय मुगलकालीन समाज और सभ्यता को इस पुस्तक के माध्यम से बड़े ही अच्छे तरीके से वर्णन किया है।
Explanation:
अबुल फजल अकबरनामा का लेखक था। उसका पालन-पोषण मुग़ल राजधानी आगरा में हुआ। वह अरबी, फारसी, यूनानी, दर्शन और सूफीवाद में पर्याप्त निपुण था । वह एक प्रभावशाली वक्ता तथा स्वतंत्र चिंतक था । उसके इन्हीं गुणों से प्रभावित होकर अकबर ने उसको अपना सलाहकार और अपनी नीतियों का प्रवक्ता बनाया।
बादशाह अकबर का एक उद्देश्य राज्य को धार्मिक रूढ़ीवादियों के नियंत्रण से मुक्त करना था।
अबुल फजल दरबारी इतिहासकार के रूप में अकबर के शासन से जुड़े विचारों को न केवल आकार दिया बल्कि स्पष्ट रूप से व्यक्त भी किया।