अब लौं नसानी, अबन नसैहौं।
रामकृपा भव-निसा सिरानी, जागे पुनि न डसैहाँ।
पायो नाम चारू चिंतामनि, उर कर ते नखसैहाँ।
स्याम रूप सुचि रुचिर कसौटी, चित कंचनहि कसैहौं।
परबस जानि हँस्यो इन इन्द्रिन निज बस है न हँसैहौं।
मन मधुकर पन कर तुलसी रघुपति पद कमल बसैहौं ॥ 2 ॥
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ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसा शब्द है जिससे लगभग हर कोई परिचित है। लेकिन, इसका अर्थ अभी भी हम में से अधिकांश के लिए स्पष्ट नहीं है। तो, ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी
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ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसा शब्द है जिससे लगभग हर कोई परिचित है। लेकिन, इसका अर्थ अभी भी हम में से अधिकांश के लिए स्पष्ट नहीं है। तो, ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी
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