Ab log kheti bari kiyu nahi karna chate h?
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5 मार्च 2012
कृषि
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नई पीढ़ी का कहना है कि अकेले कृषि क्षेत्र उन्हें एक आरामदायक जीवन नहीं दे सकता.
भारत में कृषि क्षेत्र जिस गंभीर संकट से गुजर रहा है उसका एक संकेत अगर किसानों की आत्महत्याओं से मिलता है तो वहीं दूसरा संकेत ऐसे किसानों की बढ़ती जमात से मिल रहा है जो कृषि छोड़ कर दूसरे पेशें चुन रहे हैं.
यह रूझान खास तौर पर किसान घरानों की युवा पीढ़ी में ज्यादा उभर कर सामने आ रहा है क्योंकि नई पीढ़ी का कहना है कि अकेले कृषि क्षेत्र उन्हें एक आरामदायक जीवन नहीं दे सकता.
एक मिसाल के तौर पर देखें तो आंध्र प्रदेश के महबूबनगर जिले के एक किसान वेंकट रेड्डी चार एकड़ भूमि के मालिक है लेकिन बढ़ती उम्र के कारण अब वो खुद खेत में काम नहीं कर सकते हैं. उनके चार बेटों में से भी किसी को खेती में दिलचस्पी नहीं हैं.
वेंकट रेड्डी का कहना था, "मुझे खेती बाड़ी में रूचि तो है लेकिन मेरे चारों बेटे गाँव छोड़कर शहर चले गए हैं. एक बेटे ने हैदराबाद में फोटोकॉपी की एक दुकान खोली है तो एक निर्माण मजदूर बन गया है. एक और बेटा, कडप्पा की एक सीमेंट फैक्ट्री में काम करता है.”
उन्होंने कहा, “सभी बच्चे शहर में रहकर काम करना चाहते है ताकि कम से कम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा तो दिला सके. वैसे भी अब कृषि करना बहुत मुश्किल हो गया है".