अब न चूक चौहान' वाला प्रसंग लिखिए और लिखिए कि इस प्रसंग में उसकी सार्थकता कैसे है?
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‘मत चूको चौहान’ पंक्ति का गोभी के फूल पाठ में वर्णन किया गया है। यह प्रसंग तब का है, जब लेखक रेलवे स्टेशन पर भीड़ से ठसाठस भरी रेलगाड़ी में चढ़ने का प्रयत्न कर रहा है। उसके पास गोभी के फूलों की भरी डलिया भी है, और कुली सारे सामान के साथ उसे रेलगाड़ी में चढ़ाने के का प्रयत्न कर रहा है।
लेखक कहता है कि गाड़ी आई, जो ठसाठस भरी हुई थी। चारों तरफ मारामारी का दृश्य मच गया। गाड़ी में घुसना मुश्किल था। धीरे-धीरे लोग पानी लेने की डब्बे से बाहर निकलने लगे। तब मेरे खुली ने अब मत चूक चौहान की तरह मुझे भीतर घुसने को ललकारा और मैं भीतर घुसने लगा। भीतर वाले मुझे डिब्बे में खाली जगह न होने के बारे में जानकारी के साथ रेल के सारे कानून एक साथ समझाने को तुल गए। हया नामक चीज बाहर छोड़कर ही मैं डिब्बे के भीतर घुस गया।
यहाँ पर मत चूक चौहान पंक्ति लेखक ने चंदबरदाई द्वारा रचित दोहे से ली है, यह चंदबरदाई ने तब रचित किया था। जब मोहम्मद गौरी कैद में पृथ्वीराज चौहान थे, और मुहम्मद गोरी उनके शब्दभेदी बाण की कला को देख रहा था। चंदबरदाई पृथ्वीराज के मित्र थे, उन्होंने पृथ्वीराज को इस दोहे के माध्यम से यह संकेत दिया कि मोहम्मद गौरी कहाँ पर बैठा है और तुम अपनी शब्दभेदी बाण की कला का सहारा लेते हुए उसका वध कर दो। दोहा इस प्रकार था...
चार बाँस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान।।
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Answer:
math Chauhan ye pat ghost ka pool se varn kiya gaya hai..ye prasang rail gadi mein hua hai