India Languages, asked by hetshah622gmailcom, 3 days ago

अब नहीं आदर नहीं नहीं नयनों मानने के घर कभी न जाइए कंचन बरसे मेह गुजराती विचार विस्तार​

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Answered by Anonymous
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आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह।तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह।।तुलसी दास जी कहते हैं कि जिस स्थान पर लोग आपके जाने से प्रसन्न न होवें और जहाँ लोगो कि आँखों में आपके लिए प्रेम अथवा स्नेह ना हो ऐसे स्थान पर भले ही धन की कितनी भी वर्षा ही क्यूँ ना हो रही हो आपको वहां नहीं जाना चाहिए ।

Answered by gowripathigmailcom
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