Hindi, asked by shivangi277singh, 1 month ago

अब
शा
बोन
जा
प्रश्न 1. प्राचीन भारतीय आर्यभाषाओं का उल्लेख करते हुए अपभ्रंश और पुराना
हिन्दी का सम्बन्ध बताइए।
अथवा
(2018)
अपभ्रंश और पुरानी हिन्दी के सम्बन्ध पर प्रकाश डालते हुए अपभ्रंश की कुछ
प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए। अथवा
पुरानी हिन्दी से क्या समझते हैं? अथवा
अपभ्रंश का अर्थ एवं उसके अन्य नाम लिखिए तथा अपभ्रंश का काल कब से
कब तक माना जाता है?
भा

Answers

Answered by ankitabareth200787
0

Answer:

भाषावैशिक दृष्टि से अपभ्रंश भारतीय आर्यभाषा के मध्यकाल की अंतिम अवस्था है जो प्राकृत और आधुनिक भाषाओं के बीच की स्थिति है। पूर्वी हिन्दी अतः कहा जा सकता है कि हिन्दी भाषा का विकास अपभ्रंश के शौरसेनी, मागधी और अर्धमागधी रूपों से हुआ है। कवियों ने अपनी वाणी को जन-जन तक पहुंचाने के लिये हिन्दी का सहारा लिया।

Explanation:

अपभ्रंश साहित्य की प्राप्त रचनाओं का अधिकांश जैन काव्य है अर्थात् रचनाकार जैन थे और प्रबंध तथा मुक्तक सभी काव्यों की वस्तु जैन दर्शन तथा पुराणों से प्रेरित है। सबसे प्राचीन और श्रेष्ठ कवि स्वयंभू (नवीं शती) हैं जिन्होंने राम की कथा को लेकर 'पउम-चरिउ' तथा 'महाभारत' की रचना की है।

सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य का आविर्भाव स्वीकार किया जाता है। ... चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' ने इसी अवहट्ट को 'पुरानी हिन्दी' नाम दिया। साहित्य की दृष्टि से पद्यबद्ध जो रचनाएँ मिलती हैं वे दोहा रूप में ही हैं और उनके विषय, धर्म, नीति, उपदेश आदि प्रमुख हैं।

अपभ्रंश, आधुनिक भाषाओं के उदय से पहले उत्तर भारत में बोलचाल और साहित्य रचना की सबसे जीवन्त और प्रमुख भाषा (समय लगभग छठी से १२वीं शताब्दी)। महाभाष्यकार पतंजलि ने जिस प्रकार 'अपभ्रंश' शब्द का प्रयोग किया है उससे पता चलता है कि संस्कृत या साधु शब्द के लोकप्रचलित विविध रूप अपभ्रंश या अपशब्द कहलाते थे। ..

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