अबिंदुकता क्या है? इस दोष में कैन सा लेंश लगाया जाता है और क्यू
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हम कहते जरूर हैं कि ‘आंखें हैं तो जहान है, वरना दुनिया वीरान है’. लेकिन रुटीन में शायद ही कोई आंखों की जांच करवाता हो. हम तो तभी जाते हैं जब आखें दर्द करें, लाल हों या नजर एकदम ही जवाब देने लग जाए तब हम आँख की जांच कराते है । बहुत सारे भ्रम हैं नजर को लेकर । कहते है जिनकी आँख में दोष होता है। उन्हें भैगा कहते है । ये एक आँखों का रोग है जिसे अबिंदुकता भी कहते है । नेत्र का वह दोष जिसमें एक ही दूरी पर रखी क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर वस्तुएँ रेटिना पर एक साथ फोकस नहीं होती, अबिंदुकता कहलाता है | यह दोष तब होता है जब कॉर्निया की आकृति गोलीय नहीं होती। नैत्र की क्षैतिज दिशा में तो ठीक देख पाता है | , परन्तु उर्ध्व दिशा में नहीं देख पाता है , या फिर नेत्र उर्ध्व दिशा में तो ठीक देख पाता है , परन्तु क्षैतिज दिशा में नहीं देख पाता है | इसके निवारण हेतु बेलनाकार लेंस का प्रयोग किया जाता है |
इसी रोग को दृष्टि वैषम्य या अबिंदुकता (
दृष्टि (Vision) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का भाग है। इसमें प्रकाशिक संकेतों को ग्रहण करने, उन्हें प्रसंस्कृत करने और उनके आधार पर क्रिया या प्रतिक्रिया करने की क्षमता प्रदान करती है। दृष्टि का मनुष्य के जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। यह चारों ओर के पदार्थों के प्रत्यक्ष ज्ञान का साधन ही नहीं है वरन् मनुष्य के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है।
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