अभागिन अमीना अपने कोठरी बैठी रो रही हैं। आज ईद का दिन है। और उस घर तक नहीं है। लेकिन हमिढ! उसके अंदर प्रकाश हैं, बाहर आशा की किरण। हामिद भिटर जाकर दादी से कहता है-"तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊंगा
बिल्कुल न डरना।
(उस अनुच्छेद - संज्ञ, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया शब्द पहचानिए)
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अभागिन अमीना अपने कोठरी बैठी रो रही हैं। आज ईद का दिन है। और उस घर तक नहीं है। लेकिन हमिढ! उसके अंदर प्रकाश हैं, बाहर आशा की किरण। हामिद भिटर जाकर दादी से कहता है-"तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊंगा
बिल्कुल न डरना।
(उस अनुच्छेद - संज्ञ, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया शब्द
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अभागिन अमीना अपने कोठरी बैठी रो रही हैं। आज ईद का दिन है। और उस घर तक नहीं है। लेकिन हमिढ! उसके अंदर प्रकाश हैं, बाहर आशा की किरण। हामिद भिटर जाकर दादी से कहता है-"तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊंगा
बिल्कुल न डरना ।
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अभागिन अमीना अपने कोठरी बैठी रो रही हैं। आज ईद का दिन है। और उस घर तक नहीं है। लेकिन हमिढ! उसके अंदर प्रकाश हैं, बाहर आशा की किरण। हामिद भिटर जाकर दादी से कहता है-"तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊंगा
बिल्कुल न डरना।