अभिलाषाएँ नित मुसकाएँ आशाओं की छाँह में,
पैरों की गति बँधी हुई हो विश्वासों की राह में।
शिल्पकला-कुमुदों की माला वक्षस्थल का हार हो,
फूल-फलों से हरी-भरी धरती का श्रृंगार हो।
भावार्थ
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Hope ki aapako Uttar mil gaya hoga
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