अभिमान रिश्तों की मिठास को समाप्त कर देता है| कैसे?
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अभिमान रिश्तों की मिठास को समाप्त कर देता है
अभिमान रिश्तो की मिठास को खत्म कर देता है, क्योंकि किसी भी रिश्ते में मिठास के लिए, संबंधों में मधुरता के लिए विनम्रता होनी अत्यंत आवश्यक है, शिष्टाचार होना अत्यंत आवश्यक है, तभी रिश्तो में मिठास घुली रहती है। अभिमानी व्यक्ति के अंदर विनम्रता का भाव जरा भी नहीं रहता। वह स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ समझता है। उसके अंदर एक अकड़ होती है, यह अहंकार होता है। अभिमानी व्यक्ति का विनम्रता से नाता टूट जाता है और जहां विनम्रता नहीं है, वहां मिठास भी नहीं होती। इसलिए अभिमानी व्यक्ति अपने अभिमान के मद में चूर होकर किसी का भी अपमान करने से नहीं चूकता। चाहे उसका कोई संबंधी ही क्यों ना हो। इस कारण अभिमान रिश्तो की मिठास को खत्म कर देता है। इसलिए जरूरी है कि रिश्ते में मिठास के लिए हम अभिमान से दूर रहें।
ईश्वर ने हमें यदि कोई गुण दिया है कोई विशेषता दी है, तो उस पर अभिमान ना करें। यह सोचें कि हमको कोई गुण दिया है तो किसी ना किसी अन्य को भी वैसा ही गुण दिया होगा। हम ही नहीं हैं जगत में, हमारे जैसे कितने ही लोग हैं, जिनको ईश्वर ने हमारी जैसी कोई विशेषता दी होगी, तो हम ही स्वयं को सर्वश्रेष्ठ क्यों समझें। हमको ईश्वर ने कोई गुण दिया है, तो हम उसका सदुपयोग करें। ये सोचें यह हमारे लिए एक वरदान के समान है, जब हम अपनी विशेषता को, अपने गुणों को विनम्रता से स्वीकार उसका सदुपयोग करना सीख जायेंगे तो हमारे अंदर अभिमान उत्पन्न ही नहीं होगा और जब अभिमान नहीं होगा तो वहां विनम्रता आसानी से अपना स्थान बना सकती है, संबंधों में मधुरता आते देर नहीं लगेगी।