अभिमन्यू 4) चक्रव्यूह- अक्षौहिणीमा टुटा पहिया -लए मानव
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कवि कहते हैं कि पहिया यदि टूटा है तो भी उसे मत फेंको। यह संसार एक दुरूह चक्रव्यूह है। बड़े-बड़े महारथी असत्यों और अन्यायों की अक्षौहिणी सेनाओं को खड़ा करेंगे। उन महारथियों के कारण इतिहास की गति सहसा झूठी पड़ जाती है तो सच्चाई को टूटे पहिए का सहारा लेना पड़ेगा।
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धर्मवीर भारती द्वारा रचित यह कविता मन को छू लेने वाली है। इस कविता के ज़रिये से कवि ने बताया है कि जिस अभिमन्यु की सहायता चक्रव्यूह के अंदर कोई ना कर सका उसका साथ एक टूटे पहिये ने दिया। महाभारत के युद्ध में जब अभिमन्यु अपने सभी अस्त्र-शस्त्र खो बैठता है तो ऐसी स्थिति में वह रथ के टूटे पहिए से आत्म-रक्षा करने का प्रयास करता है। इस प्रकार पूर्ण रूप से बेकार मानी जाने वाली वस्तु भी महत्वपूर्ण होती है। समाज में उपेक्षित समझे जाने वाली वस्तु भी मानव जीवन के उत्थान में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।