अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभीही तो आधा है
मेरे बन में टुल वृसत-
अभी ना होगा मेरा अंता
हरे-हरे ये पात
डालियाँ, कलियाँ) कोमल गात
में ही अपना स्वप्न-मुलक- कर
फेरुगा निहित कलियो पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर
पुष्प-पुटप से तंद्रालस लालसा खीच लग
अपने नाव जीवन का अमृत सहप सीच द
द्वार दिखा दगा फिर उनको।
है मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न टोगा मेरा संत
east of tequila packing and battery
Answers
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी ने प्रकृति का बहुत ही सुंदर और अद्भुत वर्णन किया है। इस कविता में उन्होंने प्रकृति की मदद से मानव के मन की भावनाओं को दर्शाया है।
ध्वनि कविता में कवि निराला जी कह रहे हैं कि अभी तो उनके वसंत रूपी यौवन की शुरुआत ही हुई है, अभी उनका अंत नहीं होने वाला। प्रकृति के बारे में बताते हुए कवि कहते हैं कि हर तरफ हरियाली छायी है और पौधों पर खिली कलियां अभी तक सोई हुई हैं। कलियों के इशारे से यहां वो दुखी और परेशान लोगों की बात कर रहे हैं।
आगे ध्वनि कविता में कवि निराला जी कहते हैं कि वो सूरज को आसमान में ले आएंगे और इन सोई कलियों को जगाएंगे। अर्थात वो निराश और परेशान लोगों के ज़िंदगी को खुशियों और सुखों से भर देना चाहते हैं। इसके लिए वो अपनी खुशी और सुखों का दान करने हेतु भी तैयार हैं। कवि चाहते हैं कि दुनिया का हर इंसान सुखी रहे। इसीलिए ध्वनि कविता में वे कहते हैं कि जब तक वो हर इंसान का दुख और पीड़ा दूर नहीं कर देंगे, तब तक उनका अंत नहीं होगा।
Mark my answer as brainliest