अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी हो तो आया है
मेरे वन में मृदुल बसंत, अभी न होगा मेरा अंत।
हरे-हरे यै पात
डालियाँ, केलियाँ, कोमल गात
में ही अपना स्वप्न-मृदुल कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर
पुष्प-पुष्प से तंद्रालय लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नव-जीवन का अमृत सहर्ष खींच दूंगा मैं,
द्वार दिखा दूँगा फिर उनको,
है मेरे वे जहाँ अनंत,
अभी न होगा मेरा अंत
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what is this dear??
??
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