अभी न होगा मेरा अंत
अभी अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत
अभी न होगा मेरा अंत।
हरे-हरे ये पात,
डलियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न मृदुल कर
फेरुंगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्युष मनोहर।
(क) निम्न पंक्तियों के कवि एवं कविता का नाम क्या है ? (ख) ‘मेरे वन में मृदुल वसंत’ वन किसके प्रतीक के रूप में है ? (ग) वसंत आने से वृक्षो की क्या बढ़ गयी है ?
(घ) कविता से कवि का जीवन के प्रति किस दृष्टिकोण का ज्ञान होता है ?
(ड़) किस आधार पर कवि अपने जीवन का अंत मानने को तैयार नहीं है ?
Answers
1. कविता का नाम ध्वनि और लेखक का नाम सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' है।
2 इस कविता में वन जीवन का प्रतीक है।
3 जैसा कि वसंत ऋतु आई है प्रकृति में, और पेड़ पौधों पर हरे-हरे पत्तों पर और नए-नए फूलों की भरमार है। सभी पेड़ों पौधों की डालियाँ लहलहा रही हैं, नई-नई कलियाँ खिली हैं और नए नए पत्ते बहुत शोभामान लग रही है।
4 इस कविता में कवि का जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण दिखाया गया है। कवि का यह मानना है कि हमें जीवन के प्रति आशावादी रहना चाहिए अपनी उम्मीद को नहीं छोड़ना चाहिए और पूरी सकारत्मक के साथ और पूरे जोश और उत्साह के साथ जीवन का आनन्द उठाना चाहिए।
5 ध्वनि' शीर्षक कविता में किस आधार पर कवि अपने जीवन का अंत मानने को तैयार नहीं है? उत्तर : कवि में आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा हुआ है। ... अपने जीवन में मृदुल वसंत आने की बात कहकर वह खुद में नवयौवन के संचार होने की बात कहता है इसी आधार पर वह अपने जीवन का अंत मानने को तैयार नहीं है।
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