अभिनव मनुष्य कविता भावार्थ.
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यह पंक्तियाँ दिनकर जी की कविता 'अभिनव मनुष्य' से ली गयी हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि दिनकर जी कहते हैं कि, यह जो आधुनिक मनुष्य है वह पूरी सृष्टि का श्रृंगार है। इस के भीतर ज्ञान तथा विज्ञान का प्रकाश भरा पड़ा है। जिस के कारण वह सृष्टि पर विजय प्राप्त कर चुका है।
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