Hindi, asked by artipandey97, 3 months ago

अभी परिंदों
में धड़कन है
पेड़ हरे है जिंदा धरती,
मत उदास
हो छाले लखकर,
चाहे
थके पर्वतारोही
धूप शिखर पर चढ़ती रहती।
फिर-फिर समय का पीपल कहता
बढ़ो हवा की लेकर हिम्मत,
बरगद का आशीष सिखाता
खोना नहीं प्यार की दौलत
पथ में

ओी माझी नदियां कब थकती?
चाँद भले ही बहुत दूर हो
राहों को चाँदनी सजाती,
हर गतिमान चरण की खातिर
बदली खुद छाया बन जाती।
रात भोले घिर आए,
कभी सूर्य की दौड़ न रुकती
कितने ही पक्षी बेघर हैं
हिरनों के बच्चे बेहाल,
तम से लड़ने कौन चलेगारोज दिए का यही सवाल
पग-पग है आँधी की साजिश पथ में
पर मशाल की जग न थमती।

प्रश्न  

(क) उदास व्यक्ति को कवि किस तरह उत्साहित कर रहा है? 1
(ख) कवि ने नदी का उदाहरण किस संदर्भ में दिया है और क्यों? 1
(ग) पीपल मनुष्य को क्या प्रेरणा देता है? 1
(घ) दीप मनुष्य से क्या सवाल करता है? उससे मनुष्य को क्या प्रेरणा लेनी चाहिए? 1
(ङ) बदली किसकी प्रतीक है? वह किनके लिए छाया बन जाती है? 1

Answers

Answered by ajitsinghrathord6350
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Answer:

A answer good floeerttfb

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