Hindi, asked by negisharda568, 4 months ago

"अभी तो मुकुट बँधा था माथ, हुए कल ही हल्दी के हाथ।
खुले भी ने थे लाज के बोल, खिले थे चुम्बन शून्य कपोल।
हाय! रुक गया यहीं संसार, बना सिन्दूर अनल अंगार।"
उपरोक्त पंक्तियाँ निम्न में से किस कवि द्वारा रचित हैं?​

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Answered by mamathathallapelli52
6

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please write Question in English language

Answered by bhatiamona
3

अभी तो मुकुट बँधा था माथ, हुए कल ही हल्दी के हाथ।

खुले भी ने थे लाज के बोल, खिले थे चुम्बन शून्य कपोल।

हाय! रुक गया यहीं संसार, बना सिन्दूर अनल अंगार।

उपरोक्त पंक्तियाँ निम्न में से किस कवि द्वारा रचित हैं?​

उपरोक्त पंक्तियां सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित ‘परिवर्तन’ नामक कविता की हैं। इस कविता में कवि ने करुणता से भरी करुण गाथा का वर्णन किया है।

व्याख्या :

सुमित्रानंदन पंत छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक प्रमुख स्तंभ रहे हैं। वह छायावादी युग के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। उन्हें साहित्य में योगदान के लिए अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें पद्म भूषण सम्मान, साहित्य अकादमी सम्मान, भारतीय ज्ञानपीठ सम्मान प्रमुख है। उन्हें संस्कृत, हिंदी, बांग्ला, अंग्रेजी आदि भाषाओं का ज्ञान था।

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