अभी तक मैंने उन्हें दूर से देखा था। बड़ी गंभीर,शांत, अपने आप में खोई हुई लगती थी। संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं। उनके प्रति मेरे दिल में आदर और श्रद्धा के भाव थे। मां और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता। परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं। गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम इनमें से कौन सा है? a (1 Point) दादी मां-शिवप्रसाद सिंह O हिमालय और हम - नागार्जुन O हिमालय की नदियाँ - शिवमंगल सिंह सुमन O हिमालय की बेटियाँ- नागार्जुन
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Hii good morning be pleased and enjoy the day
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प्रस्तुत गद्यांश के पाठ का नाम है - हिमालय की बेटियां तथा उस पाठ के लेखक है - नागार्जुन अतः सही विकल्प है हिमालय की बेटियां - नागार्जुन
- प्रस्तुत पाठ ” हिमालय की बेटियाँ ” में लेखक ” नागार्जुन ” ने भारत की महान नदियों गंगा , यमुना और सतलुज का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है।
- लेखक इस पाठ के द्वारा यह संदेश देना चाहते है कि किसी के बारे में वह मनुष्य हो अथवा प्रकृति ,कोई निर्णय लेने से पहले हमें सोच लेना चाहिए क्योंकि कई बार जैसा हम सोचते है वैसा नहीं होता, कभी कभी हम किसी के संदर्भ में सोचते है कि यह भयानक तथा हानिकारक है परन्तु वह होता शांत तथा लाभदायक है। अतः हमें सोच समझकर निर्णय पर पहुंचना चाहिए।
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