अभ्यास
1. गरमी का वृक्षों पर क्या प्रभाव पड़ा?
2. 'जूते फटे हुए, जिनमें से झाँक रही गाँवों की आत्मा'-कविता को इस पॉक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
३. गरमी में बड़े घर के कुत्तों को प्राप्त सुविधाओं और आम आदमी की मजबूरी की तुलना कीजिए।
1 दोपहर बीत जाने के बाद संध्या के समय भी कोई बाहर क्यों नहीं निकलता?
Answers
Explanation:
1)गर्मी से पेड़ो पर यह प्रभाव पड़ा कि गर्मी खेसारी वृक्ष सूख गए वृक्षों कंकालों से दिखाई देने गए उनके सारे पत्ते झड़ गए
2)जूते फटे हुए जिसमें झाकरी गांव की आत्मा कविता को इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि एक आम आदमी जो तपती हुई धूप में गरम सड़क पर चले जा रहा है पीठ में गोली लादे उसके कपड़े फटे हुए और जूते भी पढ़ते हुए देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे जूतों से झांक रही हो गांव की आत्मा
3)जहां गर्मी में जो बड़े कुत्ते बड़े-बड़े व्हाट्सएप में नहाते हैं दिन भर बैठक में पड़े रहते हैं वही एक आम आदमी कड़ी तपती हुई धूप में काम करता है जिससे उसके बच्चे और उसका परिवार पल सके
4)दोपहर बीत जाने के बाद संध्या काल के समय में कोई बारिश लेने नहीं करता क्योंकि दोपहर की कड़ी धूप की कड़ी धूप जो हवा गर्म कर देती है वही हवा संध्या काल के समय बाहर निकलते ही अच्छा जोर से सपाट लगाती है
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1. गर्मी के कारण वृक्षों के पत्ते झुलस गए। उनकी पत्तियां गिर गई। पत्र - विहीन वृक्ष एक विशाल कंकाल के जैसे दिखने लगे।
2. जूते फटे हुए, जिनमें से झांक रहे गांव की आत्मा'। कविता की इस पंक्ति का भाव यह है की दोपहरी में एक ग्रामीण गटरी में कुछ सामान उठाए जा रहा है। उसके फटे जूते से उसके पैर दिख रहे हैं। ये भारत के गांव की आत्मा जैसी है जो सुख - दुख से बेखबर हो प्रसन्न दिखाई पड़ रही है।
3. गर्मी में बड़े घरों के कुत्ते कूलर, ए•सी• में बैठकर शीतलता की अनुभूति करते हैं। वह गर्मी से बचने के लिए बाथरूम के पानी भरे टब में आंखें बंद किए पड़े रहते हैं। इसके विपरीत, आम आदमी को कदम-कदम पर गर्मी के थपेड़े सहने पड़ते हैं, क्योंकि दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए उसे बाहर निकलना ही होता है। वह सर्दी, गर्मी, बरसात आदि की मार को अपनी नियति समझ कर सह लेता है।
4. दोपहर बीत जाने के बाद संध्या के समय भी कोई बाहर इसलिए नहीं निकलता क्योंकि शाम की गर्म हवा थपेड़े जैसी लगती थी। शाम के समय भी गर्मी कम नहीं होती थी।