'अभ्यास का महत्व' विषय पर लगभग 100 से 120 शब्दों में लघु कथा लेखन कीजिए।
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Explanation:
अभ्यास का अर्थ है - एक ही प्रक्रिया को बार-बार, निरंतर दोहराना और तब तक दोहराना जब तक कि आप अपनी त्रूटियो को दुर न कर ले और उस प्रक्रिया मे सफल न हो जाये।
जिस कार्य में आप सफल होना चाहते है तो उस सफलता के लिये अभ्यास का होना बहुत जरूरी है। आज जितने भी अभिनेता , अभिनेत्री, गायक, लेखक , साहित्यकार, वैज्ञानिक , बड़े-बड़े आध्यात्मिक पुरुष, योग गुरू, तपस्वी आदि हुये है वे कही न कही अपनी सफलता के लिये अभ्यास को बहूत ही ज्यादा महत्व देते हैं।
सरल भाषा में यह है कि सांस्सारिक क्रिया से लेकर आध्यात्मिक क्रिया तक, शारीरिक क्रिया से लेकर मानसिक क्रिया तक, अभ्यास जो है प्रत्येक व्यक्ति के जीवन मे सफलता प्राप्ति के लिये बहूत ही ज्यादा काम आती है।
सभी लोगों को पता होता है कि इस संसार में लाखों लोग जन्म लेते हैं। ये लोग जन्म से ही विद्वान् नहीं होते हैं। ये भी निर्बल और गुमनाम होते है। जो अपने जीवन में अत्यधिक अभ्यास करता है उसका जीवन अपने आप ही सफल हो जाता है। जो लोग अपने जीवन में अभ्यास नहीं करते हैं वे अपने जीवन में कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
मोहम्मद गौरी ने 17 बार युद्ध में पृथ्वीराज से असफलता प्राप्त की थी लेकिन उन्होंने अपना साहस नहीं खोया था।उन्होंने लगातार अभ्यास से 18वीं बार में पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया था। उसे लगातार अभ्यास से सफलता मिली थी। इसी तरह हमें भी परिश्रम करके सफलता हासिल करनी चाहिए।
आशा है कि आप समझ गए है।
Explanation:
अभ्यास की आवश्यकता – अत्यंत महीन और मुलायम तिनकों से बनी रस्सी के बार-बार आने-जाने से पत्थर से बनी कुएँ की जगत पर निशान पड़ जाते हैं। इन्हीं निशानों को देखकर मंदबुद्धि कहलाने वाले बरदराज के मस्तिष्क में बिजली कौंध गई और उन्होंने परिश्रम एवं लगन से पढ़ाई की और संस्कृति के वैयाकरणाचार्य बन गए। कुछ ऐसा ही हाल कालिदास का था, जो उसी डाल को काट रहे थे जिस पर वे बैठे थे।
बाद में निरंतर अभ्यास करके संस्कृत के प्रकांड विद्वान बने और विश्व प्रसिद्ध साहित्य की रचना की। ऐसा ही लार्ड डिजरायली के संबंध में कहा जाता है कि जब वे ब्रिटिश संसद में पहली बार बोलने के लिए खड़े हुए तो ‘संबोधन’ के अलावा कुछ और न कह सके। उन्होंने हार नहीं मानी और जंगल में जाकर पेड़-पौधों के सामने बोलने का अभ्यास करने लगे। उनका यह अभ्यास रंग लाया और संसद में जब वे दूसरी बार बोलने के लिए खड़े हुए तो उनका भाषण सुनकर सभी सांसद चकित रह गए।
विदयार्थी और अभ्यास – विद्यार्थियों के लिए अभ्यास की महत्ता अत्यधिक है। पुराने ज़माने में जब शिक्षा पाने का केंद्र गुरुकुल होते थे और शिक्षा प्रणाली मौखिक हुआ करती थी, तब भी विद्यार्थी अभ्यास से ही श्लोक और ग्रंथ याद कर लेते थे। कोरे कागज़ की तरह मस्तिष्क लेकर पाठशाला जाने वाले विद्यार्थी अभ्यास करते-करते अपने विषय में स्नातक, परास्नातक होकर डाक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त कर जाता है।
उपसंहार – अभ्यास सफलता का साधन है। सभी जीवधारियों को सफलता पाने हेतु आलस्य त्यागकर अभ्यास में जुट जाना चाहिए।