अभ्यास की शजतत पर लघु कथा ललिें।
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अभ्यास में अपार शक्ति है। अभ्यास इस बात का करना है कि मित्र और शत्रु में,अपने और पराये में जो चेतन चमक रहा है उसका बार बार स्मरण होता रहे।
★आज जो असाध्य है,वही अभ्यास के बल से सरल और सुगम हो सकता है। किन्हीं संत ने एक ऐसा आदमी देखा जो अपने कंधों पर विशालकाय भैंसों को उठा लेता था।
संत ने पूछा :”कहाँ तू पाँच-साढ़े पाँच फुट का हलका-फुलका आदमी और कहाँ यह विशालकाय भैंसा ! फिर भी तू अपने कंधे पर इसे ऐसे कैसे उठा लेता है ?”
★वह आदमी कहता है :”बाबाजी ! सच मानिये, यह भैंसा जब पैदा हुआ था तो छोटा और प्यारा-प्यारा सा था। तभी से मैं इसे उठाता आया हूँ। नित्य अभ्यास से आज यह विशालकाय भैंसा उठाना मेरे लिए सहज हो गया,भले ही इसे उठा लेना औरों के लिए बड़ा चमत्कार का काम बन जाय।”
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