अभ्यासो न हि त्यक्तव्यः अभ्यासो हि परं बलम्।
अनभ्यासे विषं विद्या अजीर्णे भोजनं विषम् ।। iska anuvad kya hoga
Answers
अभ्यासो न हि त्यक्तव्यः अभ्यासो हि परं बलम्।
अनभ्यासे विषं विद्या अजीर्णे भोजनं विषम् ।।
भावार्थ ➲ निरंतर अभ्यास करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए, निरंतर अभ्यास करने से बुद्धि को बल प्राप्त होता है। बुद्धि प्रखर होती रहती है। जिस तरह बढ़िया से बढ़िया भोजन भी बदहजमी हो जाने पर लाभ पहुंचाने की जगह शरीर को हानि पहुंचाता है। उसी तरह निरंतर अभ्यास को छोड़े देने पर शास्त्र ज्ञान भी मनुष्य के लिए घातक विष के समान होता है।
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Answer:
श्लोक का अर्थ
Explanation:
निरंतर अभ्यास करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए निरंतर अभ्यास करने से बुद्धि को बल प्राप्त होता है । बुद्धि प्रखर होती रहती है । जिस तरह बढ़िया से बढ़िया भोजन भी बदहजमी हो जाने पर लाभ पहुंचाने की जगह शरीर को हानि पहुंचाता है । उसी तरह निरंतर अभ्यास को छोड़े देने पर शास्त्र ज्ञान भी मनुष्य के लिए घातक विष के समान होता है ।
कृपया मुझे ब्रेनलिस्ट बना दो