अभ्यास प्रश्न 3. वर्तमान युग में मूल्यों का विघटन चारों तरफ दिखाई दे रहा है। भौतिकता की अंधी dore में लोग बेतहाशा धनोपार्जन की ओर दौड़ रहे लोग स्वार्थ में इतने अंधे हो चुके हैं कि नीति अनीति, अच्छा-बुरा का अंतर करना छोड़कर अपने हित के कार्यों में लगे है। अपनी स्वार्थपूर्ति में दूसरों का अथवा समाज का कितना अहित हो रहा है, इसकी चिता किसी को नहीं है। आज अधिकांश अभिभावकों के पास इतना समय ही नहीं रह गया है कि वे अपनी संतानों को सही परवरिश दे सकें। माता-पिता की इस भाग-दौड़ एवं धनोपार्जन के तौर-तरीकों का असर बच्चों पर गहरे रूप में पड़ रहा है। बच्चा अपने एकाकीपन की भरपाई करने के लिए या तो पर में बैठकर दूरदर्शन पर आने वाले विविध फूहड़ चैनलों के कार्यक्रम देखता है या दोस्तों के साथ यत्र तत्र घूमता रहता है। ऐसी स्थिति में छात्र मानव जीवन के किन मूल्यों को सीख पाएगा, यह कहना बड़ा ही कठिन ऐसी दशा में जीवन मूल्यों की रक्षा का संपूर्ण दायित्व शिक्षकों के ऊपर ही आ जाता है।
(i) वर्तमान युग में मूल्यों का विघटन किस तरह दिखाई दे रहा है?
(ii) 'भौतिकता की अंधी दौड़ में शामिल माता-पिता का बच्चों पर क्या दुष्प्रभाव पड़ रहा है ?
(iii) जीवन-मूल्यों की रक्षा का दायित्व किसके ऊपर आ जाता है और क्यों?
(iv) आजकल अभिभावकों का अपनी संतान के साथ कैसा संबंध बनता जा रहा है?
(v) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?
Answers
Explanation:
1 वर्तमान युग में मूल्यों का विघटन चारों तरफ दिखाई दे रहा है भौतिकता की आंधी दौर में लोग बेहतर से धन उपार्जन की ओर दौड़ रहे लोग स्वार्थ में कितने अंडे चुके की नीति और नियति अच्छा बुरा कांता करना छोड़ कर अपने हित के कार्य में लगे हैं
2.
Answer:
Answer 1) वर्तमान युग में मूल्यों का विघटन चारों तरफ दिखाई दे रहा है।भौतिकता की अंधी दौड़ में लोग बेतहाशा धन उपार्जन की ओर दौड़ रहे हैं।
उत्तर 2) भौतिकता की अंधी दौड़ में शामिल माता-पिता एवं धन उपार्जन के तौर तरीके का असर बच्चों पर गहरे रूप से पड़ता है।
उत्तर 3)जीवन मूल्यों की रक्षा का संपूर्ण दायित्व शिक्षकों के ऊपर ही आ जाता है।
उत्तर 4) गद्यांश के अनुसार बच्चा अपने एकाकीपन की भरपाई घर बैठकर दूरदर्शन पर आने वाले विविध फूहड़ चैनलों के कार्यक्रम दिखता है यह दोस्तों के साथ यत्र तत्र घूमता रहता है।