अभ्यास पत्र-16
गृहं शून्यं सुतां विना (पाठ -6)
प्र० 1 धातुभिः सह प्रत्ययान् योजयित्वा रिक्तस्थान पूर्ति कुरुत
१. सः स्वदोषान्
इच्छति । (त्यज् + तुमुन्)
२. देवालयं
किं करोषि ? (गम् + क्त्वा)
३. ते कलाकृतिं
वांच्छन्ति । (दृश् + तुमुन)
४. अहं गृहकार्य
आगमिष्यामि । (कृ + क्त्वा)
५. वस्त्राणि
... शीघ्रम् आगच्छत् । (आ + दा + ल्यप्)
६. पुष्पाणि
सः धनं अर्जति । (वि + क्री+ ल्यप)
७. अहं तव कथनं ........ वांच्छामि । (परि + ईक्ष् + तुमुन्)
आरक्षकः आगच्छति । (धृ + क्त्वा)
...
१०. चौरं
please answer in sanskrit
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खण्ड (क) तथा (ख) में आए पदों का विश्लेषण करने पर स्पष्ट है कि उपसर्ग पद (संज्ञापद अथवा क्रियापद) के आदि और प्रत्यय पद के अन्त में लगते हैं। स्वतन्त्र रूप से इनका कोई प्रयोग नहीं होता
और न ही कोई अर्थ। ये पद के साथ जुड़कर बहुधा अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं।
प्रायः प्रयोग में आने वाले कुछ उपसर्ग
प्र, परा, परि, प्रति, उप, अप, अव, नि:, दुः, सु, वि, ओ, अनु, सम् आदि।
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