'अभयारण्यों की आवश्यकता
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अभयारण्यों की आवश्यकता
मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए निरंतर वनों का कटान किया है। जिस कारण इस धरा से जंगल सिकुड़ते जा रहे हैं और जंगली जीवो के आश्रय स्थल नष्ट हो रहे हैं। बहुत से जंगली जीव विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं।
देश और दुनिया के कुछ बुद्धिजीवी लोगों ने इनकी रक्षा के लिए अभयारण्य स्थल की स्थापना की हैं। जिनमें जंगली जीव निर्भय होकर रह सकते हैं। इन अभयारण्य स्थलों में जंगली जीवो का शिकार करना सख्त मना होता है तथा अभयारण्य स्थलों में पेड़ों को भी नहीं काट सकते हैं।
आज अभयारण्य स्थलों की नितांत आवश्यकता है ताकि जो जंगली जीव विलुप्त होने की कगार पर हैं वे बचे रहें। अभयारण्य स्थल घोषित होने से जंगली जीव और जंगल दोनों बचे रहते हैं।
Answer:
अभयारण्य पशु पक्षियों को सुरक्षित संरक्षित तथा विकसित करते हैं। इनका होना प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखता है। ये तो हम सभी जानते हैं कि समस्त पशु-पक्षी प्रकृति के संचालन में यथायोग्य सहयोग करते हैं । अभयारण्य इनके निवास स्थान है ।
पिछले कुछ वर्षों से जंगलों को बेरहमी से काँटा छाँटा जा रहा हैं ; सब तरफ कोंक्रिट(सीमेंट ) के जंगल बनाए जा रहे हैं | जिसके फलस्वरूप इन जीवो का जीना दूभर हुआ है।
कई बार प्राकृतिक आपदाएं आने पर यह जीव जंतु जो जंगल के रहवासी है। हमारे शहरों में प्रवेश कर जाते हैं । हम उनके निवास स्थान पर कब्जा कर बैठेंगे तो वेे कहां जाएंगे ? वे विवशता वश हमारे नगरों तथा घरों में चले आते हैं इस स्थिति को सुधारने के लिए भी हमें अभयारण्यों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखना होगा ।
कतिपय जीव जंतुओं की विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के लिए भी अभयारण्यों को सहेजकर रखना अनिवार्य हैं। सरकार तो अपनी तरफ से प्रयास कर ही रही है ,जिसके फलस्वरूप हमारे देश में बाघों की संख्या में वृद्धि भी हुई परन्तु हमें भी सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर इन जीव जंतुओं के लिए इनके स्थानों को सुरक्षित तथा संवर्धित करना होगा ।