Hindi, asked by zeenatshah, 1 year ago

Abhyas ka mahatva par kahani

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Answered by sakshu19
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बुद्धिहीन व्यक्ति को बुद्धिमान बनने के लिए निरतंर ‘अभ्यास’ करते रहना चाहिए। अभ्यास यानी निरंतरता बनाए रखें। किसी भी काम को लगातार करते रहने से उस काम में दक्षता हासिल हो जाती है।इस दोहे से समझ सकते हैं अभ्यास का महत्वकरत-करत अभ्यास के जङमति होत सुजान। रसरी आवत जात, सिल पर करत निशान।।

इस दोहे का अर्थ यह है कि जब सामान्य रस्सी को भी बार-बार किसी पत्थर पर रगड़ने से निशान पड़ सकता है तो निरंतर अभ्यास से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बन सकता है।लगातार अभ्यास करने के लिए आलस्य को छोड़ना पड़ेगा और अज्ञान को दूर करने के लिए पूरी एकाग्रता से मेहनत करनी होगी।महाकवि कालिदास ऐसे बने विद्वानमहाकवि कालिदास सूरत से सुंदर थे और राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे। कहा जाता है कि प्रारंभिक जीवन में कालिदास अनपढ़ और मूर्ख थे।

कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। उनका विवाह विद्योत्तमा नाम की सुंदर और बुद्धिमान राजकुमारी से हुआ था। विद्योत्तमा ने प्रतिज्ञा की थी कि जो पुरुष उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वह उसी के साथ विवाह करेगी। जब विद्योत्तमा ने शास्त्रार्थ में सभी विद्वानों को हरा दिया तो अपमान से दुखी कुछ विद्वानों ने कालिदास से उसका शास्त्रार्थ कराया।कालिदास से शास्त्रार्थ के समय विद्योत्तमा मौन शब्दावली में गूढ़ प्रश्न पूछती थी, जिसे कालिदास अपनी बुद्धि से मौन संकेतों से ही जवाब दे देते थे। विद्योत्तमा को लगता था कि कालिदास गूढ़ प्रश्न का गूढ़ जवाब दे रहे हैं।

उदाहरण के लिए विद्योत्तमा ने प्रश्न के रूप में खुला हाथ दिखाया तो कालिदास को लगा कि यह थप्पड़ मारने की धमकी दे रही है। इसके जवाब में कालिदास ने घूंसा दिखाया। ये देखकर विद्योत्तमा को लगा कि वह कह रहा है कि पांचों इन्द्रियां भले ही अलग हों, सभी एक मन के द्वारा संचालित हैं। इस प्रकार शास्त्रार्थ से विद्योत्तमा प्रभावित हो गई और उनका विवाह कालिदास से हो गया।

विवाह के बाद विद्योत्तमा को सच्चाई का पता चला कि कालिदास अनपढ़ और मूर्ख हैं तो उसने कालिदास को धिक्कारा और यह कह कर घर से निकाल दिया कि सच्चे पंडित बने बिना घर वापिस नहीं आना।इसके बाद कालिदास ने सच्चे मन से काली देवी की आराधना की। ज्ञान हासिल करने के लिए लगातार अभ्यास किया। माता के आशीर्वाद और लगातार अभ्यास से वे ज्ञानी हो गए। ज्ञान प्राप्ति के बाद जब वे घर लौटे तो उन्होंने दरवाजा खड़का कर कहा- कपाटम् उद्घाट्य सुंदरी (दरवाजा खोलो, सुंदरी)। विद्योत्तमा ने चकित होकर कहा- अस्ति कश्चिद् वाग्विशेषः (कोई विद्वान लगता है)। कालिदास ने विद्योत्तमा को अपना पथप्रदर्शक गुरु माना। कालिदास ने कई महान काव्यों की रचना की। अभिज्ञानशाकुंतलम् और मेघदूतम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचनाएं हैं।

Answered by Priatouri
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मानव के जीवन में अभ्यास महत्व है |

Explanation:

मानव के जीवन में अभ्यास का बहुत अधिक महत्व है। अभ्यास करने से ही कोई भी व्यक्ति एक निश्चित कला में निपुण हो पाता है। अभ्यास करने से हमारी कला में निखार आता है और हम उस कला में निपुण हो जाते हैं।  

अभ्यास के महत्व को हम एक कहानी के जरिए समझ सकते हैं:

एक बार की बात है एक विद्यालय में 2 छात्र पढ़ते थे जिनका नाम राम और श्याम था। जहां राम एक अमीर घर से था वहीं शाम एक गरीब घर से था। राम को हर एक चीज समय पर बिना किसी मेहनत के मिल जाती थी जबकि शाम को हर चीज का फायदा उठाने के लिए बहुत प्रयास और अभ्यास करना पड़ता था। ऐसे में राम को अलग से प्रशिक्षण मिलता था जबकि श्याम हमेशा अभ्यास कर परीक्षा में प्रथम आने की कोशिश करता था। राम हर वर्ष कक्षा में प्रथम आता था लेकिन शाम अपनी मेहनत के बावजूद भी कई साल तक प्रथम ना आ पाया। पर हार के डर से उसने कभी अपना अभ्यास करना नहीं छोड़ा और अंततः एक समय ऐसा आया जब शाम ने पूरे विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया।  

इस कहानी से हमें यह पता चलता है कि अभ्यास करने से हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।

और अधिक जानें:

अगर समय चक्र रुक जाये तो

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