About Balgovind Bhaghat ke bare me . first answer will mark as a brainlist answer
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Bal gobin bhagat ek saadhu saman vaykti the, unhe dusro ke saman se koi lagaw nhi tha, woh apni zindgi me saare kaam khud hi karte the, woh Kabir ke bhakt the aur unhi ke gaane gaate, woh bhale hi budhe ho chle lekin unki awastha jawaan vaykti saman thi, pure gaaon me ghumte aur gaane gaate
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Answer:
बालगोबिन भगत' एक अनूठी रचना है। गाँव के जन-जीवन को लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी ने बड़ी सुंदरता से इस कहानी में उकेरा है। इसमें लेखक बालगोबिन जी के माध्यम से सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार करते हुए नज़र आते हैं। भारतीय संस्कृति में साधु-संतों का विशेष रूप से मान-सम्मान किया जाता है। उनकी वेशभूषा देखकर ही लोग उन्हें आदर भाव देने लगते हैं। लेखक अपनी कहानी से साधु-संतों की सही परिभाषा को समाज के समक्ष प्रस्तुत करता है। उसके अनुसार मात्र साधुओं से वस्त्र धारण कर लेना और घर-परिवार छोड़ देना, व्यक्ति को साधु-संत नहीं बना सकता। साधु-संत बनने के लिए उनके आदर्शों को जीवन में उतारना सही अर्थों में साधुत्व कहलाता है। बालगोबिन ने परिवार को नहीं छोड़ा अपने कर्त्तव्यों को पूरी निष्ठा के साथ निभाया है। वह कभी झूठ नहीं बोले, सबके साथ खरा व्यवहार करते थे, बिना पूछे किसी की चीज़ नहीं लेते थे, हमेशा भजन गाते, खेती करके जो कुछ मिलता उसे भगवान को भोग लगाए बिना स्वयं नहीं लेते थे। उनके ये गुण उन्हें साधु-संतों की श्रेणी में सबसे ऊपर खड़ा करते थे। उन्होंने समाज में चली आ रही सड़ी-गली परंपराओं को तोड़ा। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि उनके बेटे की मृत्यु के पश्चात अपनी बहु के भाई को उसका दूसरा विवाह करने का आदेश दे दिया। बालगोबिन जैसे सच्चे साधु समाज में अब लुप्त हो गए हैं।
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