about carpenter in Hindi
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लकड़ी का काम करने वाले लोगों को बढ़ई या 'काष्ठकार' (Carpenter) कहते हैं। इस आधुनिक समाज के विकास का श्रेय इस जाति को जाता है।इनकी संख्या भारत मे लगभग 6% से 8 % के आस पास है घर मकान आफिस नयी शोध सभी इसी समाज कि देन है, लेकिन राजनैतिक इच्छा शक्ति के अभाव मे पतन होता गया। यह जाति प्राचीन काल से समाज के प्रमुख अंग रहे हैं। घर की आवश्यक काष्ठ की वस्तुएँ बढ़ई जाति द्वारा बनाई जाती हैं। इन वस्तुओं में चारपाई, तख्त, पीढ़ा, कुर्सी, मचिया, आलमारी, हल, चौकठ, बाजू, खिड़की, दरवाजे तथा घर में लगने वाली कड़ियाँ, समाज कि हर एक आधुनिक वस्तु इसी समाज का देन है।.
बढई एक ऐसी जाति है जो देश के हर प्रदेशों जिलों गांव शहर में बहुसंख्यक जाति के रूप मे निवास करते है। , इनकी संख्या देश भारत मे लगभग 6% से 8 % के आस पास है। बढई जाति के लोग रोजगार मे विश्वास करते हैं ,और अपने साथ अनेकों समाज, समुदाय को भी रोजगार उपलब्ध कराते हैं। अविष्कारों व रचनाओ के धनी है बढई जाति (समाज ) जिनको बढई समाज के नामों से पुकारा जाता है। दुनिया में इस समाज के अविष्कार का ही हर एक आदमी नकल करके ही कला को हासिल करता है। बढई समाज के लोगो और घर में जन्मे बच्चे , बच्चे तक को पैदाइशी इंजीनियर कहा जाता है। बढई समाज जन्मजात ही अविष्कारक है, 5000' वर्ष पूर्व में यही जाति ब्राहमण होती थी। लेकिन उस समय कुछ शत्रुओं के छल कपट से इस जाति के साथ बहुत बडा धोखा देने के बाद। अत्याचार और नाईंसाफी करके राज्यों से जंगल में रहने को मजबूर कर दिया गया। जिससे बाद में रोजी रोटी चलाने के लिए जंगलो से लकडिय़ों के सहारे अपनी जीवन पोषण करने पर मजबूर हो गये।
काष्ठकार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो लकड़ियों का काम करता है I वह लकड़ी से अलग-अलग तरह से चीजें बनाता है I जैसे कि मैं दरवाजे, खिड़कियां, पलंग, कुर्सी आदि I यह कार्य ज्यादातर पुरुष ही करते हैं I काष्ठकार द्वारा बनाई गयी वस्तुओं का हमारे जीवन में बहुत उपयोग होता हैं I दुकानें के खांचे बनवाने में ,घर का फर्नीचर बनाने में, विद्यालय के लिए कुर्सी-मेज बनाने के लिए हमे काष्ठकार की आवश्यकता होती हैं I