about child rights In hindi
Answers
भारत में सभी बच्चों के लिये वास्तविक मानव अधिकार के पुनर्विचार के लिये 20 नवंबर को हर वर्ष बाल अधिकार दिवस मनाया जाता है। अपने बच्चों के सभी अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक बनाने के लिये बाल अधिकार की सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय कमीशन के द्वारा 20 नवंबर को सालाना एक राष्ट्रीय सभा आयोजित की जाती है। 20 नवंबर को पूरे विश्व में वैश्विक बाल दिवस (अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस) के रुप में भी मनाया जाता है। बाल अधिकारों के पुनर्मूल्यांकन के लिये विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित करने के द्वारा इस दिन को पूरे विश्व भर में भारत सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्य मनाते है। बाल अधिकारों के अनुसार बचपन अर्थात् उनके शारीरिक और मानसिक अपरिपक्वता के दौरान बच्चों की कानूनी सुरक्षा, देख-भाल और संरक्षण करना बहुत जरुरी है।
बाल अधिकार दिवस 2016बाल अधिकार दिवस 2016, 20 नवंबर रविवार को मनाया जायेगा।
बाल अधिकार क्या है?1959 में बाल अधिकारों की घोषणा को 20 नवंबर 2007 को स्वीकार किया गया। बाल अधिकार के तहत जीवन का अधिकार, पहचान, भोजन, पोषण और स्वास्थ्य, विकास, शिक्षा और मनोरंजन, नाम और राष्ट्रीयता, परिवार और पारिवारिक पर्यावरण, उपेक्षा से सुरक्षा, बदसलूकी, दुर्व्यवहार, बच्चों का गैर-कानूनी व्यापार आदि शामिल है। भारत में बच्चों की देखभाल और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये 2007 के मार्च महीने में राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा के लिये एक कमीशन या संवैधानिक संस्था का निर्माण भारत की सरकार ने किया है। बाल अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिये संगठन, सरकारी विभाग, नागरिक समाज समूह, एनजीओ आदि के द्वारा कई सारे कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।
बाल अधिकार बाल श्रम और बाल दुर्व्यवहार की खिलाफत करता है जिससे वो अपने बचपन, जीवन और विकास के अधिकार को प्राप्त कर सकें। दुर्व्यवहार, गैर-व्यापार और हिंसा के पीड़ित बनने के बजाय बच्चों की सुरक्षा और देखभाल होनी चाहिये। उन्हें एक अच्छी शिक्षा, मनोरंजन, खुशी और सीख मिलनी चाहिये।
बाल अधिकार दिवस कैसे मनाया जाता हैइस अवसर पर बच्चों के लिये स्कूलों के द्वारा एक कला प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच बाल अधिकार की जागरुकता को प्रचारित और बढ़ावा देने के लिये विद्यार्थियों के द्वारा बाल अधिकार से संबंधित कार्यक्रम और कई प्रकार की कविता, गायन, नृत्य आदि की प्रस्तुति दी जाती है।
उनकी जरुरतों को आँकना और एक व्यक्ति के रुप में बच्चे को समझने के लिये एक कार्यक्रम को भी रखा जाता है। इस कार्यक्रम के प्रतिभागी कुछ प्रश्न पूछते हैं। एक व्यक्ति या इंसान के रुप में बच्चों की जरुर एक पहचान होनी चाहिये। खुशी और अच्छे बचपन को प्राप्त करने के लिये उन्हें अच्छी छत, सुरक्षा, भोजन, शिक्षा, कला, खेल, देख-रेख, स्वस्थ परिवार, कपड़े, मनोरंजन, मेडिकल क्लीनिक, परामर्श केन्द्र, परिवहन, भविष्य योजना, नई तकनीक आदि तक आसान पहुँच होनी चाहिये।
कर्तव्य का वहन करने वाले की कमी और बच्चों के अधिकारों के महत्व के बारे लोगों को जागरुक करने के लिये अधिकार धारक और कर्तव्य धारक के रिश्तों को प्रदर्शित करने लिये एक कला प्रदर्शनी रखी जाती है। बाल अधिकार के शुरुआत के बाद भी लगातार जारी मुद्दों को समझने के लिये बाल अधिकार आधारित मार्ग पर पहुँचने के लिये सेमिनार और बहस रखी जाती है। बच्चों के वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिये बाल श्रम की समस्या से मुक्ति पानी होगी।
बाल अधिकार दिवस मनाने का उद्देश्यभारत में हर साल बाल अधिकार दिवस बच्चों के अधिकार और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिये मनाया जाता है।हमें उनको पूरा विकास और सुरक्षा का आनन्द लेने का मौका देना चाहिये।इस बात को सुनिश्चित करें कि बाल अधिकार के कानून, नियम, और लक्ष्य का पालन हो।बाल अधिकारों को मजबूत करने के लिये समाज को लगातार इस पर कार्य करना होगा।पूरे देश में बाल अधिकार योजना को फैलाना, प्रचारित और प्रसारित करना है।देश के हर भाग में बच्चों के रहने की स्थिति को गहराई से निगरानी करें।बढ़ते बच्चों के विकास में उनके अभिवावक की मदद करना। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की जिम्मेदारी के लिये उनके माता-पिता को जागरुक करना।कमजोर वर्ग के बच्चों के लिये नई बाल अधिकार नीति को बनाना और लागू करना।बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा, दुर्व्यवहार को रोकना, उनके अच्छे भविष्य के लिये उनके सामाजिक और कानूनी अधिकारों को प्रचारित करना।देश में बाल अधिकार नीतियों को लागू करने की अच्छाई और बुराई का विश्लेषण करना।देश में बच्चों के व्यापार के साथ ही शारीरिक शोषण के खिलाफ कार्य और विश्लेषण करना।बाल अधिकार
बच्चों के अधिकारों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक जीवन, खेल और मनोरंजन का अधिकार, जीवन यापन का पर्याप्त मानक और दुर्व्यवहार और नुकसान से बचाव शामिल है। बच्चों के अधिकार उनके विकासात्मक और उम्र-उपयुक्त जरूरतों को कवर करते हैं जो समय के साथ बदलते हैं क्योंकि एक बच्चा बड़ा होता है।
बच्चों के अधिकारों में माता-पिता, मानव की पहचान और शारीरिक सुरक्षा, भोजन, सार्वभौमिक राज्य-प्रदत्त शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, और आपराधिक कानूनों की उचित आवश्यकताएं और बच्चे के आयु और विकास के लिए उचित कानून, समान सुरक्षा दोनों शामिल हैं। बच्चे के नागरिक अधिकार, और स्वतंत्रता