Hindi, asked by sainikhil22, 1 year ago

about eid in hindi 8 lines

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Answered by skshahed204
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विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ पर अनेक धर्मो के लोग एक साथ निवास करते हैं । जिस प्रकार हिन्दुओं के प्रसिद्ध त्योहार दीवाली, होली, जन्माष्टमी हैं, उसी प्रकार मुसलमानों के दो प्रसिद्ध त्योहार हैं जिनमें से एक को ईद अथवा ईदुल फितर कहा जाता है तथा दूसरे को ईदुज्जुहा अथवा बकरईद कहा जाता है ।
यह त्योहार प्रेमभाव तथा भाईचारा बढ़ाने वाले हैं । मुसलमान इन त्योहारों को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं । ईदुल फितर का त्योहार एक मास के रोजे रखने के पश्चात आता है । ईद की प्रतीक्षा हर व्यक्ति को रहती है । ईद का चाँद सब के लिए विनम्रता तथा भाईचारे का संदेश लेकर आता है ।
चाँद रात की खुशी का ठिकाना ही नहीं, रात भर लोग बाजारों में कपड़े तथा जूते इत्यादि खरीदते हैं । वैसे तो ईद की तैयारियाँ लगभग एक मास पूर्व ही प्रारम्भ हो जाती है । लोग नये-नये कपड़े सिलवाते हैं, मकानों को सजाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे ईद का चाँद देखने के दिन निकट आते हैं, मुसलमान अत्यन्त उत्साहित होकर रोजे रखते हैं तथा पाँच समय की नमाज के साथ ही ‘तरावीह’ भी पढ़ा करते हैं, यह सारी इबादतें सामूहिक रूप से की जाती हैं ।
रमजान की समाप्ति ईद के त्यौहार की खुशी लेकर आती है । इस दिन लोग सुबह को फजिर की सामूहिक नमाज अदा करके नये कपड़े पहनते हैं । नये कपडों पर ‘इतर’ भी लगाया जाता है तथा सिर पर टोपी ओढ़ी जाती है, तत्पश्चात लोग अपने-अपने घरों से ‘नमाजे दोगाना’ पढ़ने ईदगाह अथवा जामा मस्जिद जाते हैं ।
नमाज पढ़ने के पश्चात् सब एक दूसरे से गले मिलते हैं और ईद की बधाइयाँ देते हैं । इस दिन दुकानों तथा बाजार दुल्हन की तरह सजे होते हैं । प्रत्येक मुसलमान अपनी आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार मिठाइयाँ बच्चों के लिए खिलौने खरीदता है । लोग मित्र और सम्बधियों में मिठाइयाँ बटवाते हैं ।
ईद के दिन की सबसे खास चीजें सिवय्या और शीर होती हैं । लोग जब ईद की शुभकामनाएँ देने एक दूसरे के घर जाते हैं तो ‘शीर’ अथवा ‘सिवय्या’ खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया जाता है । ‘ईदुल फितर’ के लगभग दो मास पश्चात् ‘ईदुज़्जुहा’ का त्योहार आता है। इस त्योहार के दिन भी पूर्व की भाँति सुबह को ‘नमाजे दोगाना’ पड़ी जाती है फिर घर आकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार बकरे की कुर्बानी देना पैगम्बर इब्राहीम साहब की सुन्नत है ।
इस त्योहार के मौके पर भी शीर तथा मिठाइयों से मुसलमान भाई एक दूसरे का स्वागत तथा तवाजो करते हैं । और उल्लास से एक दूसरे की सफलता की दुआ खुदा से करते है । ईद का त्योहार हमें यही शिक्षा देता है कि हमें मुहम्मद साहब के दिखाए गए रास्ते पर ही चलना चाहिए और उन्‌की शिक्षाओं का पालन करते हुए किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए ।
Answered by soumilighosh
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