About God ram in hindi
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वाल्मिकी कृत रामायण में उल्लिखित यह श्लोक प्रभु राम के जन्म के बारे में है। श्रीराम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। उनका जन्म दिवस चैत्र मास की नवमी तिथि को मनाया जाता है।
प्रभु श्रीराम का जन्म वर्तमान उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुआ था। वो अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। राजा दशरथ की तीन रानियां थी – कौशल्या, कैकेयी और सबसे छोटी सुमित्रा। राजा दशरथ को पुत्रों की प्राप्ति बहुत ही जप-तप के बाद हुई थी। उनकी तीन रानियों से चार पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई। सबसे बड़ी रानी कौशल्या से राम, कैकेयी से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न।
बालपन
बचपन से ही श्रीराम बहुत सहृदयी और विनयशील थे, और अपने पिता के सबसे करीब थे। या यूं कहे, वो राजा दशरथ की कमजोरी थे। राजा दशरथ एक पल भी उन्हें अपनी नजरों से दूर नहीं करना चाहते थे। सौतेली मां होने के बाद भी वो सबसे ज्यादा कैकेयी को स्नेह और सम्मान देते थे। उनके लिए उनकी तीनों माताएं एक समान थी। ज्येष्ठ होने के कारण वो अपने सभी छोटे भाईयों का बहुत अधिक ध्यान रखते थे।
शिक्षा-दीक्षा
श्रीराम की शिक्षा-दीक्षा गुरु वशिष्ठ के आश्रम में सम्पन्न हुई थी। प्रभु राम बचपन से ही बहुत पराक्रमी थे। बाल्यकाल से ही अपने पराक्रम का अनुक्रम शुरु कर दिया था। आगे चलकर उन्होंने अनेकों राक्षसों का वध किया और सबसे महत्वपूर्ण महा बलशाली लंकापति रावण को मारा और इस धरती को पावन किया।
निष्कर्ष
प्रभु श्री राम की इतनी कथाएं हैं जिसे एक निबंध में पिरो पाना मुमकिन नहीं। श्रीराम का चरित्र अनुकरणीय है। हम सभी को उनके आदर्शो पर चलना चाहिए।
Answer:
राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं, और इन्हें श्रीराम और श्रीरामचन्द्र के नामों से भी जाना जाता है। रामायण में वर्णन के अनुसार अयोध्या के सूर्यवंशी राजा, चक्रवर्ती सम्राट दशरथ ने पुत्र की कामना से यज्ञ कराया जिसके फलस्वरूप उनके पुत्रों का जन्म हुआ। श्रीराम का जन्म देवी कौशल्या के गर्भ से अयोध्या में हुआ था। श्रीराम जी चारों भाइयों में सबसे बड़े थे। हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को श्रीराम जयंती या राम नवमी का पर्व मनाया जाता है।
श्रीराम का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में वर्णित हुआ है। रामायण में सीता के खोज में श्रीलंका जाने के लिए 48 किलोमीटर लम्बे 3 किलोमीटर चोड़े पत्थर के सेतु का निर्माण करने का उल्लेख प्राप्त होता है, जिसको रामसेतु कहते हैं ।
गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की है। इन दोनों के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचनाएं हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। भारत में श्री राम अत्यंत पूजनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं तथा विश्व के कई देशों में भी श्रीराम आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं जैसे थाईलैंड, इंडोनेशिया आदि । इन्हें पुरुषोत्तम शब्द से भी अलंकृत किया जाता है।[1] मर्यादा-पुरुषोत्तम राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने लंका के राजा रावण (जिसने अधर्म का पथ अपना लिया था) का वध किया। श्री राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। श्री राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहां तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार, आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा रघुकुल रीति सदा चलि आई प्राण जाई पर बचन न जाई[1] की थी। राम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी किन्हीं तीन इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने दासी मन्थरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वन (वनवास) जाना उचित समझा। भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ चौदह वर्ष वन में बिताए। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊं) ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। जब राम वनवासी थे तभी उनकी पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम ने हनुमान, सुग्रीव आदि वानर जाति के महापुरुषों की सहायता से सीता को ढूंंढा। समुद्र में पुल बना कर लंका पहुंचे तथा रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता जी को वापस ले कर आये। राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया, इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं। इनके दो पुत्रों कुश व लव ने इनके राज्यों को संभाला। वैदिक धर्म के कई त्योहार, जैसे दशहरा, राम नवमी और दीपावली, राम की वन-कथा से जुड़े हुए हैं।
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