Hindi, asked by cheathangowda187, 4 months ago

about kulhath ki dal in hindi ​

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Answered by jayatiyadav37
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कुलथी

तीन पत्तियों वाला पौधा है। जिसे सामान्यतः कुर्थी भी कहा जाता है। इसके बीजों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। इसका उपयोग औषधि के रूप में होता है। इसके बीज पशुओं को खिलाने के काम आते हैं। दक्षिण भारत में इसके अंकुरित दाने तथा इसके पकवान बनाए जाते हैं।

लाभ

यह उष्ण, मूत्रल, वात-कफनाशक, मेदहर एवं अश्मरीघ्न है। इसका क्वाथ अश्मरी, श्वास, कास एवं श्वेत प्रदर में दिया जाता है। मात्रा ३ से ६ ग्राम।

रासायनिक संघठन

बीजों में प्रोटीन २२, स्नेह ०.५, खनिज ३.१, रेशा ५.३, कार्बोहाइड्रेट ५७.३, खटिक ०.२८, फास्फोरस ०.३९%, लोह ७.६ मि.ग्रा एवं विटामिन 'ए' ११९ एकक प्रति १०० ग्राम में पाया जाता है। इसमें यूरिएस (Urease) काफी होता है।

परिचय

हिंदी में कुलथी, कुलथ, खरथी, गराहट | संस्कृत में कुलत्थिका, कुलत्थ | गुजराती में कुलथी | मराठी में हुलगा, कुलिथ, उत्तराखंड की स्थानीय भाषा में "गहत"। तथा अंग्रेजी में हार्स ग्राम इत्यादि नामों से जाना जाता है। कुलथी कषायरशयुक्त, विपाक में कटुरसयुक्त, पित्त एवं रक्त विकार नाशक, उष्णवीर्य, पसीने को रोकने वाली, सारक एवं- श्वास, कास, कफ, वायु, हिचकी, पथरी, शुक्र, दाह, पीनस, मेद, ज्वर तथा कृमि को दूर करने वाली है। इसका क्षुप झाड़ीदार, पतला, धूसर, ३० से ४५ से. मी. ऊँचा एवं मूल से अनेक शाखाओं से युक्त होता है। इसके पत्ते बिल्व की तरह त्रिपत्रक एवं लम्बे वृन्तयुक्त पीताभ हरे होते हैं। इसके बीज देखने में उड़द के समान, हल्के लाल, काले चितकबरे, चिपटे एवं चमकीले होते हैं।

एक सरल प्रयोग

किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डाल कर ढक कर रात भर भीगने दें। प्रात: इस पानी को अच्छी तरह मिला कर खाली पेट पी लें। फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें, जिसे दोपहर में पी लें। दोपहर में कुल्थी का पानी पीने के बाद पुन: उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें।इस प्रकार रात में भिगोई गई कुल्थी का पानी अगले दिन तीन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दानों को फेंक दें और अगले दिन यही प्रक्रिया अपनाएं। महीने भर इस तरह पानी पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है। एक सरल व्यायाम एक लकड़ी के तख्त पर चढ़ जाएं, फिर जमीन पर कूदें। चढें और कूदें। यह क्रिया ८-१० बार करें। इस क्रिया के करने से पथरी नीचे खिसकेगी और पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाएगी। नोट: शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को यह क्रिया नहीं करनी चाहिए। कोई प्रयोग करते समय आयुर्वेद या प्राकृतिक चिकित्सक की सलाह अवश्य ली जानी चाहिए।

प्रभाव

कुलथी के सेवन से पथरी टूट कर या धुल कर छोटी होती है, जिससे पथरी सरलता से मूत्राशय में जाकर पेशाब के रास्‍ते से बाहर आ जाती है। मत्रल गुण होने के कारण इसके सेवन से पेशाब की मात्रा और गति बढ़ जाती है, जिससे रुके हुए पथरी कण पर दबाव ज्‍यादा पड़ने के कारण वह नीचे की ओर खिसक कर बाहर हो जाती है। o यह शरीर में विटामिन ए की पूर्ति कर पथरी को रोकने में मददगार है।

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Answered by IND21
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Answer:

कुलथी एक प्रकार की दाल है, जिसे अंग्रेजी में हार्स ग्राम के नाम से जाना जाता है। इसे दक्षिण भारत की महत्वपूर्ण फसल माना गया है। इसका रंग गहरा भूरा होता है और देखने में मसूर की दाल की तरह लगती है। दक्षिण भारत के कुछ प्रमुख व्यंजनों जैसे रसम आदि बनाने के लिए इसे प्रयोग में लाया जाता है।

Explanation:

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