English, asked by brainly7344, 5 months ago

about poverty in Himachal Pradesh in Sanskrit​

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Answered by aditimamta84
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Answered by Anonymous
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मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद हिमाचल में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया जा सकेगा। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया जा चुका है। संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने के बाद सरकारी काम संस्कृत भाषा में भी किया जा सकेगा।

सूत्रों से मालूम हुआ है कि संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने का मामला मंत्रिमंडल की बैठक में अभी तक दो बार जा चुका है परंतु आज दिन तक मंजूरी नहीं मिल पाई है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया गया है। उत्तर प्रदेश में सरकारी दस्तावेजों का अनुवाद उर्दू में किया जाता है और कई पुलिस थानों में रिपोर्ट भी उर्दू में दर्ज की जाती हैं।

संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने से क्या होगा

हिमाचल में संस्कृत को राजभाषा का दर्ज देने के बाद से सरकारी कामकाज संस्कृत भाषा में भी किया जा सकेगा। इसके बाद संस्कृत भाषा में सरकारी अधिसूचनाएं, नोटिस और अन्य दस्तावेजों भी जारी किए जा सकेंगे।

क्या करना होगा दूसरी राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद

संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद इसके लिए सचिवालय में अलग विभाग बनाना होगा। इस विभाग में हिंदी के दस्तावेजों का अनुवाद करने की व्यवस्था करनी होगी। अनुवाद सही तरीके से हो सके, इसके लिए संस्कृत भाषा के विद्वानों की सेवाएं लेने पड़ सकती है ताकि हिंदी के कठिन शब्दों का अनुवाद सहज किया जा सके।

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