about Ramjan in Hindi
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रमज़ान या रमदान (उर्दू - अरबी - फ़ारसी : رمضان) इस्लामी कैलेण्डर का नवां महीना है। मुस्लिम समुदाय इस महीने को परम पवित्र मानता है।
इस मास की विशेषताएं
महीने भर के रोज़े (उपवास) रखना
रात में तरावीह की नमाज़ पढना
क़ुरान तिलावत (पारायण) करना
एतेकाफ़ बैठना, यानी गांव और लोगों की अभ्युन्नती व कल्याण के लिये अल्लाह से दुआ (प्रार्थना) करते हुवे मौन व्रत रखना.
ज़कात देना
दान धर्म करना
अल्लाह का शुक्र अदा करना। अल्लाह का शुक्र अदा करते हुवे इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं।
इत्यादी को प्रमुख माना जाता है। कुल मिलाकार पुण्य कार्य करने को प्राधान्यता दी जाती है। इसी लिये इस मास को नेकियों और इबादतों का महीना यानी पुण्य और उपासना का मास माना जाता है।
मुसलमानों के विश्वास के अनुसार इस महीने की २७वीं रात शब-ए-क़द्र को क़ुरान का नुज़ूल (अवतरण) हुआ। इसी लिये, इस महीने में क़ुरान ज़्यादा पढना पुण्यकार्य माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान का पठन किया जाता है। जिस से क़ुरान पढना न आने वालों को क़ुरान सुनने का अवकाश ज़रूर मिलता है।
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रमजान, रमज़ान भा अरबी उच्चारण रमादान, इस्लामी कलेंडर के नउवाँ महिन्ना हवे आ पूरा दुनिया के मुसलमान लोग एह महीना के उपास (ब्रत) के द्वारा मनावे ला जे इस्लामिक मान्यता अनुसार कुरआन के पहिला पहिल प्रगटहोखे के उपलक्ष में मनावल जाला। ई सालाना तिहुआर हवे आ एह तिहुआर के मनावल, यानी कि उपास भा बरत राखल, सौम भा सोम के नाँव से जानल जाला आ ई इस्लाम के पाँच गो आधार में से एक मानल जाला.