about time is money in Hindi
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समय कभी किसी की प्रतीक्षा नहीं करता । वह निरंतर गतिशील रहता है कुछ लोग यह कहकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं कि अभी समय अच्छा नहीं जब अच्छा समय आएगा तब कोई काम कर लेंगे । ऐसे लोग भूल जाया करते हैं कि समय आया नहीं करता वह तो निरंतर जाता रहता है और सरपट भगा जा रहा है ।
हम निरंतर कर्म करते रहकर ही उसे अच्छा बना सकते हैं । अच्छे कर्म करके, स्वयं अच्छे रहकर ही समय को अच्छा, अपने लिए प्रगतिशील एवं सौभाग्यशाली बनाया जा सकता है । उसके सिवाय अन्य कोई गति नहीं । अन्य सभी बाते तो समय को व्यर्थ गंवाने वाली ही हुआ करती हैं । और बुरे कर्म तथा बुरे व्यवहार अच्छे समय को भी बुरा बना दिया करते हैं ।
समय के सदुपयोग में ही जीवन की सफलता का रहस्य निहित है जो व्यक्ति समय का चक्र पहचान कर उचित ढंग से कार्य करें तो उसकी उन्नति में चार चाँद लग सकते हैं । कहते हैं हर आदमी के जीवन में एक न एक क्षण या समय अवश्य आया करता है कि व्यक्ति उसे पहचान-परख कर उस समय कार्य उपयोग करें तो कोई कारण नहीं कि उसे सफलता न मिल पाए ।
समय का सदुपयोग करने का अधिकार सभी को समान रूप से मिला है । किसी का इस पर एकाधिकार नहीं है । संसार में जितने महापुरुष हुए हैं वे सभी समय के सदुपयोग करने के कारण ही इस पर पहुँच सके हैं । काम को समय पर संपन्न करेना ही सफलता का रहस्य है ।
अत: तत्काल आरंभ कर देना चाहिए । आज का काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए । कोई कार्य छोटा हो या बड़ा यह भी नहीं सोचना चाहिए । वास्तव में कोई काम छोटा या बड़ा नहीं हुआ करता है । अच्छा और सावधन मनुष्य अपनी अच्छी नीयत, सद्व्यवहार और समय के सदुपयोग से छोटे या सामान्य कार्य को भी बड़ा और विशेष बना दिया करता है ।
विश्व के आरंभ से लेकर आज तक के मानव जो निरंतर रच रहा है, वह सब समय के सदुपयोग से ही संभव हुआ और हो रहा है । यदि महान कार्य करके नाम यश पाने वाले लोग आज भी आज-कल करते हुए हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते तो जो सुख आनंद के तरह-तरह के साध्य उपलब्ध हैं वे कतई और कभी न हो पाते । मनुष्य और पशु में यही तो वास्तविक अंतर और पहचान है कि मनुष्य समय को पहचान उसका सदुपयोग करना जानता है, जबकि पशु-पक्षियों के पास ऐसी पहचान-परख और कार्य शक्ति नही रहा करती ।
मानव जीवन नदी की एक धरा के समान है जिस प्रकार नदी की धरा अबाध गति से प्रवाहित होती रहती है ठीक उसी प्रकार मानव-जीवन की धरा भी अनेक उतार-चढ़ावों से गुजरती हुई गतिशील रहती है । प्रकृति का कण-कण हमें समय पालन की सीख देता है ।समय ही धन है|
hope it helped u !!
हम निरंतर कर्म करते रहकर ही उसे अच्छा बना सकते हैं । अच्छे कर्म करके, स्वयं अच्छे रहकर ही समय को अच्छा, अपने लिए प्रगतिशील एवं सौभाग्यशाली बनाया जा सकता है । उसके सिवाय अन्य कोई गति नहीं । अन्य सभी बाते तो समय को व्यर्थ गंवाने वाली ही हुआ करती हैं । और बुरे कर्म तथा बुरे व्यवहार अच्छे समय को भी बुरा बना दिया करते हैं ।
समय के सदुपयोग में ही जीवन की सफलता का रहस्य निहित है जो व्यक्ति समय का चक्र पहचान कर उचित ढंग से कार्य करें तो उसकी उन्नति में चार चाँद लग सकते हैं । कहते हैं हर आदमी के जीवन में एक न एक क्षण या समय अवश्य आया करता है कि व्यक्ति उसे पहचान-परख कर उस समय कार्य उपयोग करें तो कोई कारण नहीं कि उसे सफलता न मिल पाए ।
समय का सदुपयोग करने का अधिकार सभी को समान रूप से मिला है । किसी का इस पर एकाधिकार नहीं है । संसार में जितने महापुरुष हुए हैं वे सभी समय के सदुपयोग करने के कारण ही इस पर पहुँच सके हैं । काम को समय पर संपन्न करेना ही सफलता का रहस्य है ।
अत: तत्काल आरंभ कर देना चाहिए । आज का काम कल पर नहीं छोड़ना चाहिए । कोई कार्य छोटा हो या बड़ा यह भी नहीं सोचना चाहिए । वास्तव में कोई काम छोटा या बड़ा नहीं हुआ करता है । अच्छा और सावधन मनुष्य अपनी अच्छी नीयत, सद्व्यवहार और समय के सदुपयोग से छोटे या सामान्य कार्य को भी बड़ा और विशेष बना दिया करता है ।
विश्व के आरंभ से लेकर आज तक के मानव जो निरंतर रच रहा है, वह सब समय के सदुपयोग से ही संभव हुआ और हो रहा है । यदि महान कार्य करके नाम यश पाने वाले लोग आज भी आज-कल करते हुए हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते तो जो सुख आनंद के तरह-तरह के साध्य उपलब्ध हैं वे कतई और कभी न हो पाते । मनुष्य और पशु में यही तो वास्तविक अंतर और पहचान है कि मनुष्य समय को पहचान उसका सदुपयोग करना जानता है, जबकि पशु-पक्षियों के पास ऐसी पहचान-परख और कार्य शक्ति नही रहा करती ।
मानव जीवन नदी की एक धरा के समान है जिस प्रकार नदी की धरा अबाध गति से प्रवाहित होती रहती है ठीक उसी प्रकार मानव-जीवन की धरा भी अनेक उतार-चढ़ावों से गुजरती हुई गतिशील रहती है । प्रकृति का कण-कण हमें समय पालन की सीख देता है ।समय ही धन है|
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