About vrundavandas das in Hindi
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वृन्द (१६४३-१७२३) हिन्दी के कवि थे। रीतिकालीन परम्परा के अन्तर्गत वृन्द का नाम आदर के साथ लिया जाता है। इनके नीति के दोहे बहुत प्रसिद्ध हैं।
जीवन परिचयसंपादित करें
अन्य प्राचीन कवियों की भाँति वृन्द का जीवन परिचय भी प्रमाणिक नहीं है। पं॰ रामनरेश त्रिपाठी इनका जन्म सन् 1643 में मथुरा (उ.प्र.) क्षेत्र के किसी गाँव का बताते हैं, जबकि डॉ॰ नगेन्द्र ने मेड़ता गाँव को इनका जन्म स्थान माना है। इनका पूरा नाम 'वृन्दावनदास' था। वृन्द जाति के सेवक अथवा भोजक थे। वृन्द के पूर्वज बीकानेर के रहने वाले थे परन्तु इनके पिता रूप जी जोधपुर के राज्यान्तर्गत मेड़ते में जा बसे थे। वहीं सन् १६४३ में वृन्द का जन्म हुआ था। वृन्द की माता का नाम कौशल्या आर पत्नी का नाम नवरंगदे था। vrund दस वर्ष की अवस्था में ये काशी आये और तारा जी नामक एक पंडित के पास रहकर वृन्द ने साहित्य, दर्शन आदि विविध विधयों का ज्ञान प्राप्त किया। काशी में इन्होंने व्याकरण, साहित्य, वेदान्त, गणित आदि का ज्ञान प्राप्त किया और काव्य रचना सीखी।
जीवन परिचयसंपादित करें
अन्य प्राचीन कवियों की भाँति वृन्द का जीवन परिचय भी प्रमाणिक नहीं है। पं॰ रामनरेश त्रिपाठी इनका जन्म सन् 1643 में मथुरा (उ.प्र.) क्षेत्र के किसी गाँव का बताते हैं, जबकि डॉ॰ नगेन्द्र ने मेड़ता गाँव को इनका जन्म स्थान माना है। इनका पूरा नाम 'वृन्दावनदास' था। वृन्द जाति के सेवक अथवा भोजक थे। वृन्द के पूर्वज बीकानेर के रहने वाले थे परन्तु इनके पिता रूप जी जोधपुर के राज्यान्तर्गत मेड़ते में जा बसे थे। वहीं सन् १६४३ में वृन्द का जन्म हुआ था। वृन्द की माता का नाम कौशल्या आर पत्नी का नाम नवरंगदे था। vrund दस वर्ष की अवस्था में ये काशी आये और तारा जी नामक एक पंडित के पास रहकर वृन्द ने साहित्य, दर्शन आदि विविध विधयों का ज्ञान प्राप्त किया। काशी में इन्होंने व्याकरण, साहित्य, वेदान्त, गणित आदि का ज्ञान प्राप्त किया और काव्य रचना सीखी।
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he was a guru of vivekananda
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