Hindi, asked by kartikbasak824, 2 months ago

Abraham Lincoln Apne Putra mein kin gaon ka Vikas karna chahte
the.

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Answered by neel5sorathiya
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Answer:

Explanation:

मैं जानता हूँ कि मेरा बेटा देर –सबेर यह जान ही जाएगा कि सब लोग न ईमानदार होते हैं, और न सत्य के प्रति निष्ठावान होते हैं,

पर आप उसे यह अवश्य सिखाएं कि

हर दुष्ट व्यक्ति को सबक सिखाने के लिए कोई न कोई हीरो भी होता है,

स्वार्थी राजनीतिज्ञों की नकेल कसने के लिए कोई न कोई समर्पित निष्ठावान नेता भी होता है,

समाज में जहाँ शत्रु होते हैं, वहीँ मित्र भी होते हैं.

 

और चाहे जितना समय लगे, पर उसे यह अवश्य सिखाएं कि

मेहनत से कमाया एक रुपया मुफ्त में प्राप्त करोड़ों से कहीं अधिक मूल्यवान है.

 

उसे सिखाइए कि

जीवन में हार और जीत दोनों मिलती हैं, इसलिए न हार से निराश हो और न जीत से उन्मत्त हो.

ईर्ष्या – द्वेष से दूर रहे, और हर्ष को हमेशा संयत ढंग से व्यक्त करे.

गुंडों के सामने कभी घुटने न टेके, याद रखे कि उन्हें शिकस्त देना कठिन नहीं होता.

 

उसे महान ग्रंथों के अद्भुत वैभव से परिचित कराइए,

साथ ही उसे प्रकृति के अनंत सौंदर्य का आस्वादन करने की प्रेरणा दीजिए,

आकाश की थाह लेने को आतुर पक्षियों का, सुनहरी धूप को गुंजायमान करते भ्रमरों का, पर्वतों के शिखर और ढलान पर एक ही भाव से मुस्कराते पुष्पों का आनंद उठाने की कला सिखाइए.

 

उसे सिखाइए कि

बेईमानी करके सफलता पाने की अपेक्षा असफल हो जाना अधिक सम्मान की बात है,

अपने सुविचारित विचारों पर दृढ रहना चाहिए, भले ही दूसरे लोग उसे गलत बताएं,

सबसे प्रीतिपूर्वक धर्मानुसार यथायोग्य व्यवहार करना चाहिए,

विवेकशील बनना चाहिए,

भेड़चाल नहीं चलना चाहिए, अंधानुकरण किसी का नहीं करना चाहिए,

सुनना सबकी चाहिए,

पर किसी बात को अपनाने से पहले उसे सत्य की कसौटी पर अवश्य कसना चाहिए, जीवन का सिद्धांत होना चाहिए – “ सार सार को गहि रहे थोथा देय उड़ाय. “

 

उसे सिखाइए कि

मन की व्यथा को मन में छिपाकर कैसे मुस्कराया जाता है,

आँख में आंसू होना बुरा नहीं,

यह हमेशा निर्बलता की नहीं, कभी-कभी सहृदयता की निशानी भी होता है,

 

उसे यह अवश्य सिखाइए कि

केवल दोषदर्शन करने वालों की तो उपेक्षा करनी चाहिए,

पर चाटुकारों से हमेशा सावधान रहना चाहिए.

 

उसे सिखाइए कि

अपनी समस्त शारीरिक एवं बौद्धिक शक्ति का उपयोग करके खूब धन कमाए,

पर धन के लिए अपनी आत्मा को कभी न बेचे.

जिसे वह सत्य समझता है, उसके लिए संघर्ष करे,

विरोध में चिल्ल-पों मचाने वालों की परवाह न करे. सद्गुणों का अर्जन करने में आलस्य न करे,

धैर्यपूर्वक इनका अर्जन करना ही सच्चा पुरुषार्थ है,

अपने पर भरपूर विश्वास रखे क्योंकि तभी वह मानवजाति पर विश्वास रख सकेगा. उसे भरपूर प्यार दीजिए,

पर लाड़ – प्यार में बिगड़ने मत दीजिए

क्योंकि आग में तपकर ही लोहा फौलाद बनता है, सोना कुंदन बनता है.

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