Hindi, asked by shauryathakur6677, 4 months ago

अच्छे या बरुे का ननमाणु हम स्वयं करते ह।ैं हमारे आपके ही संकल्प िसू रों के सकं ल्पों से टकराकर तिनसु ार वातावरण बनाने के
ललए होते हैं। हमें सिैव िुभ सकं ल्प ही करने चादहए। यजुविे के एक मंत्र में यही िाथुना की गई हैकक मेरे मन के सकं ल्प ‘भद्रं
भद्रं न आभार’ – हे िभो! हमें बराबर कल्याण को िाप्त कराइए। यहाूँकल्याण िब्ि का ियोग व्यापक अथु में हुआ है। केवल
भौनतक संसाधनों की उपलजब्ध ही नहीं, वरन् पारमाधथुक सत्य की लसद्धध ही सच्चे अथों में कल्याण है। संत सभा के सेवन तथा
हरर-गुन-गायन से ही इसकी उपलजब्ध संभव है। सफलता के ललए केवल सकं ल्प ही पयाुप्त नहीं है, तिनुरूप आचरण एक ऐसे
िपुण के सदृि है, जजसमें हर मनष्ुय को अपना िनतबबबं दिखाई िेता है। मनुष्य के कमु ही उसके प्रवचारों की सबसे अच्छी
व्याख्या है। हम जजस वस्तुकी कामना करते हैं, उसी से हमारे कमु की उत्पप्रि है। ‘गीता में कमु की व्याख्या के रूप में कहा
गया है कक इस िकृनत में जो कुछ भी पररवनततु होता हैवह सब ‘किया’ हैऔर कियाओं का पुंज पिाथु है। वे ही कमु चाहे
कानयक हों या वाधचक अथवा मानलसक इष्ट, अननष्ट तथा लमधित फल िेने वाले होते हैं। उन कमों में करने के जो भाव हैं, वे
कताु में ही रहते हैं। ये‘कमु’ और ‘भाव’ िुभ और अिभु िोनों होते ह।ैं िभु कमु और भाव मुजक्त िेने वाले तथा अिभु कमु और
भाव पतन करने वाले होते हैं।
(क) मनुष्य के प्रवचारों की व्याख्या ककसके द्वारा होती है? (2)
(ख) ककसमें हर मनुष्य को अपना िनतबबंब दिखाई िेता है? (2)
(ग) सच्चे अथु में कल्याण का क्या अथु है? (2)
(घ) गीता के अनुसार कानयक, वाधचक, मानलसक कमु कै से फल िेने वाले होते हैं? (2)
(ङ) यजुवेि में क्या िाथुना की गई है?

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Answered by rajnikhil2302
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Answer:

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