Hindi, asked by arnavpandey8778, 15 hours ago

' अचानक से मैने पत्र खोला और खुशी से झूम उठा.... इस विषय से आरंभ करते हुए मौलिक कहानी लिखे ​

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Answered by sivapriya71
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एक दिन अचानक

दीदी के पत्र ने सारे राज खोल दिए थे. अब समझ में आया क्यों दीदी ने लिखा था कि जिंदगी में कभी किसी को अपनी कठपुतली मत बनाना और न ही कभी खुद किसी की कठपुतली बनना.

Hindi Kahani Ek Din Achanak

लता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी व असमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं?

मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती है. जिस दिन यह खबर मिली कि ‘लता ने आत्महत्या कर ली,’ सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बात सच भी हो सकती है. क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. शादी के बाद, उन के पहले 3-4 साल अच्छे बीते. शरद जीजाजी और दीदी दोनों भोपाल में कार्यरत थे. जीजाजी बैंक में सहायक प्रबंधक हैं. दीदी शादी के पहले से ही सूचना एवं प्रसार कार्यालय में स्टैनोग्राफर थीं.

लता दीदी मशहूर लेखिका मालती जोशी की कहानियों की फैन थीं. फुरसत के क्षणों में वे उन की कहानियां पढ़ा करती थीं. एक बार मैं भोपाल गया. मैं ने उन की अलमारी से मालती जोशी की किताब ‘कठपुतली’ निकाली और पढ़ने लगा. 2 दिन में मैं ने कुछ कहानियां पढ़ीं. उन कहानियों ने मुझे इतना प्रभावित किया कि ग्वालियर वापस आते समय मैं ने दीदी से कहा, ‘शेष कहानियां पढ़ कर, यह किताब मैं आप को वापस भिजवा दूंगा.’

‘नहीं भैया, नहीं, यह मेरी प्रिय किताब है और मैं इसे किसी को भी नहीं देती हूं, चाहे वह तुम्हारे जीजाजी ही क्यों न हों, क्योंकि एक बार किसी को किताब दे दो तो वह वापस नहीं मिलती,’ उन्होंने किताब मेरे हाथ से ले ली और अलमारी में रख दी.

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