According to children intrenet is reward or श्याप essay
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इन्टरनेट एडिक्शन यानि इन्टरनेट की लत किसी नशे की लत से किसी भी प्रकार से कम नहीं हैl जैसे किसी नशे की लत लगने से इन्सान अपना दिमागी संतुलन खो बैठता है ठीक वैसे ही इन्टरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल से इन्सान अपने आस पास घाट रही घटनाओं से अचेत रहते हुए अपनी ही दुनिया में व्यस्त रहता है जिसका सीधे असर उसकी मानसिक स्थिति पर तो पड़ता ही है साथ ही निजी जीवन में भी रिश्ते कमज़ोर होने लगते हैंl
हाल ही में शोधकर्ताओं के इन्टरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल पे किये गए अध्ययन से ये बात सामने आई है की इंटरनेट का ज्यादा प्रयोग करने वाले लोगों के डिप्रेशन (अवसाद) की चपेट में जाने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। खासकर विद्यार्थियों और किशोरों में यह स्थिति बहुत खतरनाक पाई गई है। ऐसे लोगों में बेचैनी की समस्या भी देखी गई है। विशेषज्ञों ने बताया कि इंटरनेट की लत के शिकार लोग मानसिक रूप से इतने विचलित हो जाते हैं कि उन्हें अपने दैनिक कार्यों से निपटने में ज़्यादा परेशानियों का सामना करना प़डता है जिससे वे किसी भी कार्य सफलतापूर्वक निपटने में असमर्थ रहते हैं जो उनकी बेचैनी या परेशानी का कारन बनता है और यहीं से डिप्रेशन का ख़तरा पैदा होना शुरू हो जाता है।
Insomnia यानि अनिद्रा की बीमारी जो अकसर उन लोगों में पाई जाती है जो या तो किसी गंभीर चिंता का शिकार हैं या जिन लोगों को आराम करने के लिए उपयुक्त समय नहीं मिल पाता। लेकिन आज सबसे शक्तिशालीग्लोबल ग्लोबल सिस्टम माना जाने वाला इन्टरनेट लोगों में अनिद्रा की बीमारी को फैला रहा है। इन्टरनेट एडिक्डिशन के चलते बच्चे हों या बड़े सभी रात के दौरान मिलने वाले ख़ाली समय को इन्टरनेट ब्राउज़िंग के लिए इस्तेमाल करना पसंद करते हैं जिससे वे कम समय के लिए ही नींद ले पाते। हर रोज़ देर रात तक दोस्तों से चैट करने और फेसबुक-ट्विटर जैसी सोशिअल मीडिया साइट्स में व्यस्त रहने से आपको वैसी ही आदत पड़ जाएगी जिससे आप सोना चाहो भी तो आपको नींद नहीं आएगी और यहीं से शुरुवात होगी ‘Insomnia’ की।
हम सभी जानते हैं कि विद्यार्थी जीवन में स्कूली शिक्षा के साथ साथ अन्य खेल कूद की गतिविधियाँ भी उतनी ही ज़रूरी हैं। सम्पूर्ण शिक्षा का मतलब ही होता है विद्यार्थी का मानसिक व शारीरिक विकास। इसलिए तो स्कूल के दौरान बच्चों को एक या दो बार ब्रेक दिया जाता है और एक स्पोर्ट्स पीरियड भी रखा जाता है जिसमें बच्चे खेल-कूद कर अपने शरीर व मस्पेशियों को रिलैक्स कर सकें। लेकिन इन्टरनेट एडिक्शन ने मानो बच्चों को खेल-कूद के मतलब से दूर कर दिया हो। बीते समय में जहाँ बच्चे अपने फ्री टाइम में बाहर जाकर दोस्तों के साथ दौड़-भाग कर तरह तरह की खेलें खेलना पसंद करते थे वहीँ आज बच्चे अपने कंप्यूटर या स्मार्ट फ़ोन से चिपके बैठे रहते हैं।