achi (good language means to respect elders) par Dadaji or grandso ke bich savand likhe in hind. please answer correct I will give 80 points
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नाति/पोता : नमस्कार दादाजी!
दादाजी: नमस्ते बेटा!
नाति/पोता : (पैर पूजते हुए)आशा करता हुँ की आप ठीक होंगे।
दादाजी : (हत पकड़ते हुए) मैं ठीक हूँ।और तुम्हारे माता पिता कैसे हैं?
नाति/पोता : (खड़े होते हुए) वह सब ठीक हैं। क्या आप अपनी दबाई ठीक से ले रहे हैं कि नही?
दादाजी : (मुस्कुराते हुए) बेटा मै अपनी दबाई ठीक से लेरह हूँ।
नाति/पोता : (आने संदूक से समान निकलते हुए) लो यह कुर्ता और पैजामा आपके लिए।
दादाजी : (आशिर्बाद देते हुए,और जाथ में लेते हुए) ठीक है बेटा शुक्रिया।
नाति/पोता : (दादाजी का हाथ पकड़ते हुए) चलो दादाजी मैं आपको आपके कमरे तक छोड़ देता हूँ।
दादाजी : (हाथ पकड़कर) चलो बेटा।
नाति/पोता : (सुलाते हुए) शुभ रात्रि!दादाजी।
।।आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।।
।।नमस्कार।।
दादाजी: नमस्ते बेटा!
नाति/पोता : (पैर पूजते हुए)आशा करता हुँ की आप ठीक होंगे।
दादाजी : (हत पकड़ते हुए) मैं ठीक हूँ।और तुम्हारे माता पिता कैसे हैं?
नाति/पोता : (खड़े होते हुए) वह सब ठीक हैं। क्या आप अपनी दबाई ठीक से ले रहे हैं कि नही?
दादाजी : (मुस्कुराते हुए) बेटा मै अपनी दबाई ठीक से लेरह हूँ।
नाति/पोता : (आने संदूक से समान निकलते हुए) लो यह कुर्ता और पैजामा आपके लिए।
दादाजी : (आशिर्बाद देते हुए,और जाथ में लेते हुए) ठीक है बेटा शुक्रिया।
नाति/पोता : (दादाजी का हाथ पकड़ते हुए) चलो दादाजी मैं आपको आपके कमरे तक छोड़ देता हूँ।
दादाजी : (हाथ पकड़कर) चलो बेटा।
नाति/पोता : (सुलाते हुए) शुभ रात्रि!दादाजी।
।।आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।।
।।नमस्कार।।
Anonymous:
.... loved to help you... thanks
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हमें ये जीवन यूँ ही नहीं मिल गया है| इसके निर्माण के पीछे बहुत से लोगों का
त्याग और तपस्या छिपी है| जैसे सर्वप्रथम हमारे माता-पिता जिन्होंने हमें बोलने –चलने
से लेकर खाने-पीने और जीवन जीने की असीमित बातें सिखाई| हमारे घर और आसपास के अन्य
व्यक्ति और हमारे गुरुजन जिन सबके मार्गदर्शन ने हमें ज्ञान और समझ दी| हम बदले
में उन्हें और कुछ दें न दें, हमें उनका सम्मान अवश्य करना चाहिए| बड़े लोग ज्ञान
और अनुभव का खजाना है| उनके पास हर समस्या का हल होता है| वे सर्वदा हमारी सहायता
के लिए तैयार रहते है क्योंकि वे हमसे असीमित प्रेम करते हैं| अनजाने में भी हमारे
द्वारा बोले गए कटु शब्द उन्हें आघात पंहुचा सकते हैं| अत: हमें मधुर वाणी द्वारा
उन्हें सम्मान देना चाहिए| जैसा व्यवहार हम अन्यों से अपने प्रति चाहते हैं वैसा
ही हमें उनके प्रति करना चाहिए| जीवन एक बूमरेंग की तरह है| हम जो फेकेंगे वही
वापस लौटकर हमारे पास आएगा| मनुष्य अपनी वाणी और दूसरों के प्रति अपने सम्मान
प्रदर्शन से अपने उच्च कुल और संस्कारों का परिचय देता है अत: ये माता-पिता का
कर्तव्य है कि वे बचपन से ही बच्चों में सम्मान करने की आदत विकसित करें| अगर वे
बच्चों को ये नहीं सिखायेंगे तो बड़े होकर बच्चे माता-पिता का भी सम्मान नहीं
करेंगे| अत: ये आदत बाल्यकाल से ही विकसित की
जानी चाहिए|
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