Math, asked by sarahalon17, 2 days ago

ACTIVITY 3
Activity 3.1
Stepl. Complete the table of values for the dimensions and volume of
a given rectangular prism.
Step 2. Write your answer in the blank provided.
Length
Width
Height
V= Axh
1
4 ft
7 ft
168 ft3
2
4.3 cm
13.3 cm
240.198 ft3
3
11 m
12 m
13 m
3 mm
14 mm
210 mm³
5
7 L
3 L
400 ml​

Answers

Answered by suresh2213w
0

Answer:

I'd:5264684457 pswd:12345 for g.i.r.l.s

Answered by AlokRaj7487
3

Answer:

प्रश्न-6. चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आपको क्यों विवश पाती हैं?

उत्तर- चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने -आप को इसलिए विवश पाती हैं क्योंकि वे भगवान कृष्ण की मुरली की मधुर तान सुनकर उस ओर आकर्षित हो जाती हैं। वे श्री कृष्ण की मधुर मुस्कान के सामने स्वयं को संभाल नहीं पाती हैं। वे लोक मर्यादा त्याग कर श्रीकृष्ण की ओर खींची चली जाती हैं।प्रश्न-6. चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आपको क्यों विवश पाती हैं?

उत्तर- चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने -आप को इसलिए विवश पाती हैं क्योंकि वे भगवान कृष्ण की मुरली की मधुर तान सुनकर उस ओर आकर्षित हो जाती हैं। वे श्री कृष्ण की मधुर मुस्कान के सामने स्वयं को संभाल नहीं पाती हैं। वे लोक मर्यादा त्याग कर श्रीकृष्ण की ओर खींची चली जाती हैं।प्रश्न-6. चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आपको क्यों विवश पाती हैं?

उत्तर- चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने -आप को इसलिए विवश पाती हैं क्योंकि वे भगवान कृष्ण की मुरली की मधुर तान सुनकर उस ओर आकर्षित हो जाती हैं। वे श्री कृष्ण की मधुर मुस्कान के सामने स्वयं को संभाल नहीं पाती हैं। वे लोक मर्यादा त्याग कर श्रीकृष्ण की ओर खींची चली जाती हैं।प्रश्न-6. चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आपको क्यों विवश पाती हैं?

उत्तर- चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने -आप को इसलिए विवश पाती हैं क्योंकि वे भगवान कृष्ण की मुरली की मधुर तान सुनकर उस ओर आकर्षित हो जाती हैं। वे श्री कृष्ण की मधुर मुस्कान के सामने स्वयं को संभाल नहीं पाती हैं। वे लोक मर्यादा त्याग कर श्रीकृष्ण की ओर खींची चली

प्रश्न-6. चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आपको क्यों विवश पाती हैं?

उत्तर- चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने -आप को इसलिए विवश पाती हैं क्योंकि वे भगवान कृष्ण की मुरली की मधुर तान सुनकर उस ओर आकर्षित हो जाती हैं। वे श्री कृष्ण की मधुर मुस्कान के सामने स्वयं को संभाल नहीं पाती हैं। वे लोक मर्यादा त्याग कर श्रीकृष्ण की ओर खींची चली जाती हैं।

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