Activity -"Azadi Ka Amrit Mahotshv "
Topic - Azadi Ka AmritMahotsav(Speech)
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आज हर भारतीय के मन में उत्सव है क्योंकि हम “आजादी का अमृत महोत्सव” मना रहे हैं। इस आजादी के लिए हमने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज में स्वतंत्रता पूर्वक जीने का अधिकार है। संसार में सभी प्राणी स्वतंत्र रहना चाहते हैं। यहां तक कि पिंजरे में बंद पक्षी भी स्वतंत्रता के लिए निरंतर अपने पंख फड़फड़ाता रहता है। उसे सोने का पिंजरा, सोने की कटोरी में रखा स्वादिष्ट भोजन भी अच्छा नहीं लगता। वह भी स्वतंत्र होकर मुक्त गगन में स्वच्छंद उड़ना चाहता है। मनुष्य को मनुष्य हैतो, उसे भी स्वतंत्रता प्रिय है। वह भी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता हुआ प्राणों की बाजी लगा देता है। महाकवि तुलसीदास जी का कहना है कि “पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं” – इस उक्ति का अर्थ यह है कि पराधीन व्यक्ति कभी भी सुख को अनुभव नहीं कर सकता है। सुख पराधीन और परावलंबी लोगों के लिए नहीं बना है। पराधीन एक तरह का अभिशाप होता है। पराधीनता के लिए कुछ लोग भगवान को दोष देते हैं लेकिन ऐसा नहीं है वे स्वंय तो अक्षम होते हैं और भगवान को दोष देते रहते हैं भगवान केवल उन्हीं का साथ देता है जो अपनी मदद खुद कर सकते हैं। महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक जी ने कहा था “स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।”